दर्शन, विज्ञान और कर्म का समुच्चय है योग
भोपाल ( प्रलय श्रीवास्तव द्वारा ) योग शब्द का जिक्र वेदों, उपनिषदों, गीता एवं पुराणों में पुरातन काल से होता आया है। भारतीय दर्शन में योग एक महत्वपूर्ण शब्द है। आत्म-दर्शन एवं समाधि से लेकर कर्म क्षेत्र तक योग का व्यापक व्यवहार हमारे शास्त्रों में हुआ है। ‘योग दर्शन’ के उपदेष्टा महर्षि पतंजलि योग शब्द […]