लखनऊ, उत्तर प्रदेश जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में भाजपा को बंपर जीत मिली हैं। भाजपा 75 में से 67 सीटों पर कब्जा करने में कामयाब हुई। वहीं सपा को 5 सीटों से संतोष करना पड़ा है और अन्य को 3 सीटें मिली हैं। 22 जिलों में पहले ही निर्विरोध निर्वाचन हो चुका है। 21 सीट भाजपा के खाते में है जबकि 1 सीट समाजवादी पार्टी के खाते में गई थी। इस तरह सत्तारूढ़ भाजपा ने पूर्ववर्ती सपा सरकार में सपा द्वारा जीते गए 67 सीटों की बराबरी की है। 53 सीटों पर वोटिंग हुई थी, जिसके चुनाव परिणाम शनिवार को घोषित कर दिए गए हैं। मार्च 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में मिली बंपर जीत भाजपा के लिए संजीवनी का काम कर सकती है। साथ ही सपा के लिए और मेहनत करने की जरूरत होगी।
यूपी के 53 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी के लिए वोटिंग पूरी होने के बाद शनिवार परिणाम घोषित कर दिए गए। उन पर ज्यादातर भाजपा और सपा आमने-सामने थीं, लेकिन सपा को भाजपा ने करारा झटका देते हुए एकतरफा जीत हासिल की। इनमें से 37 जिला पंचायत सीटें ऐसी थीं, जहां पर सिर्फ दो-दो उम्मीदवार ही चुनाव मैदान में थे। दोनों ही दल के नेता अपनी-अपनी जीत के लिए जोड़-तोड़ से जुटे रहे, लेकिन बाजी मारी भाजपा ने और सपा को केवल पांच सीटों से ही संतोष करना पड़ा।
निर्विरोध चुनावों के बाद भी बचे हुए 53 जिलों में से समाजवादी पार्टी को 36 जिलों में भाजपा से आगे बताया जा रहा था। हालांकि, कई जिलों में समाजवादी पार्टी का गणित निर्दलीय तो कहीं बागियों ने बिगाड़ दिया। जिन 22 जिला पंचायत अध्यक्ष पद की सीटों पर निर्विरोध निर्वाचन हुआ, वहां पर समाजवादी पार्टी इटावा में मुश्किलों से निर्विरोध जीत सकी थी। बाकी 21 में भाजपा ने जीत दर्ज की है। पार्टी का दावा है कि भाजपा ने सत्ता पक्ष का दुरुपयोग कर जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा किया है।