मप्र में नहीं सुलझा रेत खनन का मामला, 15 जून के बाद नदियों में पानी आने से नहीं हो पाएगा खनन, बढ़ेंगी कीमतें

भोपाल, कोरोना काल में वास्तविक उत्खनन के आधार पर रेत की रायल्टी में छूट के मसले पर रेत ठेकेदार और शासन के बीच बाचचीत का अभी तक कोई निष्कर्ष नहीं निकला है। रेत ठेकेदारों ने खदान चलाने में असमर्थता जाहिर कर दी है। वहीं, मार्च से बंद रेत का वैध उत्खनन 15 जून के बाद नदियों में पानी आ जाने से तीन महीने के लिए फिर बंद हो जाएगा। ऐसे में करीब 6 महीने तक रेत का वैध उत्खनन न होने से जहां एक ओर अवैध उत्खनन बढ़़ेगा वहीं, दूसरी ओर रेत के दामों में तीन महीने में प्रति ट्रॉली 2000 रुपए की बढोत्तरी और बढ़ जाएगी। ऐसे में शासकीय व निजी निर्माण कार्य प्रभावित हो जाएंगे।
कोरोना संकट काल में आर्थिक संकट से उबरने के लिए मजदूरों को सरकारी निर्माण कार्य सहारा बनते हैं। लेकिन रेत का मुद्दा न सुलझ पाने से रोजगार के अवसर पर भी बुरा असर पड़ेगा। कंपनी कोरोना कफ्र्यू के दौरान काम के ठप होने का बहाना देकर किश्तों में छूट चाहती है। यही वजह है कि कंपनी ने कामकाज बंद कर दिया है और सरकार से बातचीत के प्रयास जारी हैं।
ठेकेदारों ने रोक रखा है काम
प्रदेश के 37 में से 26 जिलों के ठेकेदारों ने मई की रॉयल्टी रोकने के साथ ही खनिज मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह और प्रमुख सचिव सुखवीर सिंह से मिलकर एक साल पुरानी मांग पूरी करने का दबाव बना दिया है। इसमें लॉकडाउन के दौरान वास्तविक रेत खनन के आधार पर रॉयल्टी लेने की बात के साथ किश्त में छूट देने को भी कहा है। इन 26 जिलों के ठेकेदारों पर मई की रॉयल्टी 68 करोड़ से अधिक बकाया है। ठेका कंपनी ने फरवरी तक उत्खनन किया और हर महीने जाने वाली किश्त भी सरकार को देती रही लेकिन मार्च, अप्रेल और मई महीने में किश्तें नहीं भेजी हैं।
सरकारी काम के लिए रेत की हो रही किल्लत
रेत की वैध खदानें बंद होने से सरकारी निर्माण कार्यो के लिए भी रेत की किल्लत हो रही है। शहरों में रॉयल्टी पर आ रही रेत प्रति ट्रॉली 2000 रुपए महंगी मिल रही है। रेत महंगी होने व मिलने में परेशानी होने से सरकारी निर्माण कार्य प्रभावित हो रहे हैं। वहीं इससे मजदूरों को मिलने वाला रोजगार भी नहीं मिल पा रहा है।
मई में मिली आधी रॉयल्टी
सर्वाधिक 22 करोड़ रुपए होशंगाबाद के रेत ठेकेदार आरके ट्रांसपोर्ट एंड कंस्ट्रक्शन पर बाकी हैं। विभाग का कहना है कि ठेकेदार मांगों पर अड़े रहे तो ठेका निरस्त करने की नौबत आएगी। यह स्थिति बनी तो रेत के दाम बढ़ जाएंगे। इधर, मई की रॉयल्टी रोके जाने के बारे में बताया गया है कि कांट्रेक्टर ठेके की अवधि को 30 जून 23 तक बढ़ाना चाहते हैं। साथ ही जून 2020 तक की अवधि को शून्य वर्ष घोषित करवा कर पहले साल की गणना एक जुलाई 2020 से करने की बात कर रहे हैं।

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