उज्जैन, जिले में कोरोना की रफ्तार कम हुई है लेकिन अब भी 2 हजार से अधिक संक्रमित मरीज अस्पतालों में भर्ती हैं जिनमें से 50 से अधिक मरीजों की हालत गंभीर बनी हुई है। जिन्हें रेमडेसिविर इंजेक्शन की आवश्यकता है। लेकिन माधवनगर अस्पताल और चरक भवन में इंजेक्शन का अभाव बना हुआ है।
कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमितों की बढ़ती संख्या और गंभीर होती स्थिति के बीच रेमडेसिविर इंजेक्शन जीवन रक्षक के रूप में सामने आया था। जिसकी जमकर कालाबाजारी भी हुई थी। हालांकि इसके साइड इफेक्ट का सामना भी मरीजों को करना पड़ रहा है इसके बावजूद भी इस इंजेक्शन की किल्लत बनी हुई है स्थानीय स्तर पर प्रशासन ने इंजेक्शन की उपलब्धता के लिए मामला अपने हाथ में ले लिया था और अस्पतालों तक प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा इंजेक्शन पहुंचाने की व्यवस्था शुरू कर दी गई थी। लेकिन अब संक्रमण की रफ्तार कम हो चुकी है। अस्पतालों में पलंग खाली होते नजर आ रहे हैं। बावजूद इसके रेमडेसिविर इंजेक्शन का अभाव अब भी बना हुआ है। सूत्रों के अनुसार चरक भवन और माधवनगर अस्पताल के कोविड सेंटर में भर्ती 50 से 60 मरीजों की हालत गंभीर होना बताई जा रही है और उन्हें रेमडेसिविर इंजेक्शन की आवश्यकता है। दोनों ही अस्पतालों में पिछले पांच दिनों से इंजेक्शन उपलब्ध नहीं होना सामने आया है। बताया जा रहा है कि शासकीय अस्पतालों में इंजेक्शन नहीं पहुंच रहे हैं। निजी अस्पतालों को इंजेक्शन उपलब्ध हो रहे हैं। शहर के तीन अस्पताल एसएस गुप्ता, संजीवनी और तेजनकर अस्पताल के प्रबंधकों ने अपने यहां भर्ती हो रहे संक्रमित मरीजों के लिए इंजेक्शन की आवश्यकता होने पर सीधे कंपनी से मंगाना शुरू कर दिए हैं। सरकारी अस्पतालों में भर्ती गरीब वर्ग को यह इंजेक्शन उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं।
उनके द्वारा शहर के मेडिकलों पर भी इंजेक्शन के लिए चक्कर लगाए जा रहे हैं। मेडिकल पर भी रेमडेसिविर उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। पिछले दिनों इंजेक्शन की कालाबाजारी भी जमकर सामने आई थी और अब हालात नियंत्रण में भी हैं। जिसके चलते यह बात सामने आने लगी थी कि अब इंजेक्शन के साथ दवाई और ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो रहे हैं। इस बीच शासकीय अस्पतालों में रेमडेसिविर का अभाव चिंता का विषय बनता नजर आ रहा है।