वॉशिंगटन, अमेरिका के विदेश विभाग ने भारत को 22 प्रीडेटर गार्जियन ड्रोन के निर्यात के लिये अनिवार्य लाइसेंस जारी कर दिया है। सूत्रों ने बताया कि विदेश विभाग ने ‘डीएसपी-5 गार्जियन निर्यात लाइसेंस जारी’ किया है. डीएसपी-5 श्रेणी लाइसेंस सैन्य सामग्री के स्थायी निर्यात के लिये जारी किया गया है।गार्जियन ड्रोन से हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की नौवहन निगरानी क्षमताओं में इजाफा होगा।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंगलवार (27 जनू) को अपने रक्षा सहयोग को और प्रगाढ़ करने का संकल्प लिया और अमेरिका ने दुश्मनों के छक्के छुड़ाने में सक्षम ‘गार्जियन ड्रोन’ की बिक्री भारत को करने की मंजूरी दे दी। व्हाइट हाउस में आयोजित भारत अमेरिका शिखर सम्मेलन के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि अमेरिका के करीबी सहयोगियों की तर्ज पर ही अमेरिका और भारत ने एक समान स्तर पर अत्याधुनिक रक्षा उपकरण एवं प्रौद्योगिकी पर मिलकर काम करने की उम्मीद जतायी। इसके अनुसार अमेरिका के अहम सहयोगी के तौर पर भारत की मान्यता को स्वीकारते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी ने रक्षा व सुरक्षा सहयोग प्रगाढ़ करने का संकल्प जताया। संयुक्त बयान के अनुसार इसी भागीदारी को प्रदर्शित करते हुए अमेरिका ने समुद्री रक्षा से संबंधित सी गार्जियन अनमैंड एरियल सिस्टम्स’ की बिक्री के संबंध में भारत के विचार को लेकर अपनी पेशकश की है।इससे भारत की क्षमता में विस्तार होगा और साझा रक्षा हितों का प्रसार होगा।रक्षा जानकारों की माने तो भारत को मिल रहे यह 22 प्रीडेटर ड्रोन की वजह से भारत की सुरक्षा प्रणाली बहुत अधिक मजबूत होगी,इसके साथ ही बार्डर जारी आंतकी घुसपैठ पर नजर रखने में भी बहुत मदद मिलेगा।मोदी सरकार लगातार सेना को आधुनिक हथियारों से लैंस करना चाहती हैं इसके लिए मोदी सरकार सभी विदेशी कंपनियों जो कि रक्षा उपकरण बनने का काम करती हैं तो वे भारत में आकर मेक इन इंडिया की थीम पर भारत में आकर प्लांट लगा सकती है। हाल के दिनों में देश के रक्षामंत्री अरुण जटेली ने भी रुस जाकर वहां की सैन्य साम्रगी बनने वाली कई कंपनियों को भारत में आने का न्यौता दिया था।
गार्जियन ड्रोन भारत को देने अमेरिकी प्रशासन ने जारी किया लाइसेंस
