अहमदाबाद, गुजरात हाई कोर्ट ने वायरस की श्रृंखला को तोड़ने के लिए सुझाव दिया कि सरकार को कार्यालय या व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर जाने वाले कर्मचारियों की तादाद भी सीमित करनी चाहिए ताकि कम से कम लोग एक-दूसरे के संपर्क में आएं। कोर्ट ने मौजूदा हालात को बेकाबू बताते हुए राज्य में कर्फ्यू या फिर तीन या चार दिन के लिए लॉकडाउन लगाने का सुझाव दिया है। ताकि राज्य में इस महामारी के संक्रमण का चक्र टूट जाए। हाई कोर्ट ने कहा कि राज्य में लॉकडाउन लगाए जाने की आवश्यकता है। गुजरात हाई कोर्ट ने राज्य में वैश्विक महामारी कोविड-19 के तेजी से बढ़ते संक्रमण पर चिंता जताई है साथ ही विजय रूपाणी के नेतृत्व वाली सरकार को इस संबंध में अगले तीन से चार दिन में निर्णय लेने को कहा है। कोविड-19 के हालात को देखते हुए मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और जस्टिस भार्गव कारिया की खंडपीठ ने इस मामले में मंगलवार को स्वतः संज्ञान लेते हुए कहा कि इस वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए अब लॉकडाउन या कर्फ्यू लगाने की आवश्यकता है। मुख्य न्यायाधीश नाथ ने कहा कि गुजरात में सोमवार को कोविड-19 के तीन हजार से अधिक मामले आने के बाद स्थिति बेकाबू और बद से बदतर होती जा रही है। उन्होंने सुझाव दिया कि राजनीतिक कार्यक्रमों समेत सभी तरह के सम्मेलनों पर या तो नियंत्रण लगाया जाए या फिर उन्हें पूरी तरह से बंद कर दिया जाना चाहिए। जस्टिस नाथ ने ऑनलाइन सुनवाई के दौरान कहा कि फिलहाल हालात पर काबू पाने के लिए राज्य में तीन या चार दिन का वीकेंड कर्फ्यू या लॉकडाउन लगाया जाना चाहिए। इसे रोकने के लिए तत्काल बड़े और कठोर कदम नहीं उठाए गए तो स्थितियां हाथ से बाहर निकल सकती हैं। महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने खंडपीठ को बताया कि लॉकडाउन को लेकर राज्य सरकार ‘कैच-22’ की स्थिति में है। यानी अगर वह लॉकडाउन लगाती है तो भारी आर्थिक हानि उठानी होगी और अगर नहीं लगाती है तो कोरोना के चलते लोगों का स्वास्थ्य दांव पर होगा। इस पर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नाथ ने कहा कि गुजरात के प्रमुख चार शहरों में रात नौ बजे से सुबह छह बजे तक के लिए लगाया गया नाइट कर्फ्यू फिलहाल नाकाफी साबित हो रहा है। उन्होंने कहा कि आप हमेशा ही तीन-चार दिनों में कर्फ्यू हटा सकते हैं। लेकिन इस कर्फ्यू से कोरोना पर काबू पाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि मार्च, 2020 में भी उनके विचार से दो दिन या तीन दिन का कर्फ्यू लगाया गया था। वायरस की श्रृंखला को तोड़ने के लिए जस्टिस कारिया ने भी सुझाव दिया कि सरकार को कार्यालय या व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर जाने वाले कर्मचारियों की तादाद भी सीमित करनी चाहिए ताकि कम से कम लोग एक-दूसरे के संपर्क में आएं। महाधिवक्ता ने कहा कि परसों सरकार ने लॉकडाउन लगाने के बारे में गंभीरता से विचार किया था लेकिन फिर यह ख्याल भी आया कि इसके चलते गरीबों की हालत दयनीय हो जाएगी। इसीलिए सरकार इस मामले पर असमंजस में है। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुजरात को नियमित रूप से कोविड-19 के सर्वाधिक मामले बढ़ने वाले राज्यों में 8वें स्थान पर रखा है।