नई दिल्ली,अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) पद से मनु साहनी का हटाया जाना तय नजर आ रहा है। आडिट फर्म प्राइस वाटर हाउस कूपर्स की आंतरिक जांच में भी उनका आचरण संदिग्ध नजर आया है जिसके बाद से ही उनपर इस्तीफे का दबाव बना हुआ है। साहनी को दो साल पहले ही डेव रिचर्डसन की जगह 2022 तक के लिए सीईओ बनाया गया था पर उनकी कार्यप्रणाली ही अब उनके हटाये जाने का कारण बन रही है। माना जा रहा है कि विभिन्न फैसलों को लेकर प्रभावशाली क्रिकेट बोर्डों से उनके संबंध भी ठीक नहीं होने के कारण उनका जाना तय है। इसके अलावा आईसीसी के कर्मचारियों से भी उनके संबंध ठीक नहीं हैं। आईसीसी बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘साहनी के कठोर बर्ताव को लेकर आईसीसी के कई कर्मचारियों ने प्रमाण दिए हैं जिससे माहौल खराब हो रहा था । ’’
साहनी पिछले कुछ समय से कार्यालय नहीं आ रहे हैं और मंगलवार को 56 साल के इस अधिकारी को छुट्टी पर जाने को कहा गया। सूत्र ने कहा, ‘‘निदेशक मंडल समझौते का फार्मूला ढूंढने का प्रयास कर रहा है जहां साहनी इस्तीफा देकर गरिमा के साथ अपना पद छोड़ दें।’’ पिछले साल नए चेयरमैन की चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद से ही साहनी दबाव में थे। पिछले साल नवंबर में ग्रेग बार्क्ले को चेयरमैन चुना गया। आरोप लगाए गए हैं कि साहनी की दबदबा बनाकर काम करने की शैली रिचर्डसन की काम करने की शैली से बिलकुल अलग है और कुछ कर्मचारियों को यह पसंद नहीं आई है। साथ ही पिछले साल चुनाव के दौरान उनके अंतरिम चेयरमैन इमरान ख्वाजा का समर्थन करने से भी कुछ क्रिकेट बोर्ड नाखुश लग रहे हैं।