भोपाल,शासन के रवैया से निराश जेल विभाग फिलहाल जेल में जैमर नहीं लगाएगा। जेल विभाग जेल में बंद खूंखार अपराधियों को मोबाइल फोन का इस्तेमाल रोकने के लिए जैमर लगाने पर विचार कर रहा था, लेकिन वित्त विभाग के राशि मुहैया कराने से इंकार करने पर फिलहाल अब जैमर नहीं लगाए जाएंगे। साढ़े नौ करोड़ के जैमर लगाने के लिए जेल मुख्यालय ने चार बार शासन को प्रस्ताव भेजा गया, लेकिन वित्त विभाग ने हर बार इस पर आपत्ति कर बजट देने से इनकार कर दिया।
अब जेल विभाग ने ठाना है कि वह इस वित्तीय वर्ष में वह जैमर लगाने का प्रस्ताव नहीं भेजेगी।
राजधानी समेत प्रदेश की सभी जेलों में यह शिकायत लगातार मिलती रहती है कि जेल कर्मियों की मिलीभगत से अपराधी जेल में रहकर मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर सकते हैं या कर रहे हैं। फिलहाल जेल के अंदर निगरानी के लिए केवल प्रहरियों द्वारा बैरक पर नजर और समय-समय पर आला अफसरों की सा\चग ही एक मात्र विकल्प है। जेलों की स्थिति ऐसी है कि प्रदेश की सबसे संवेदनशील भोपाल सेंट्रल जेल में ही जैमर नहीं है। जेल में जैमर लगाने का प्रस्ताव जेल मुख्यालय द्वारा पिछले चार साल में चार बार सरकार को भेजा गया, जिसे वित्त विभाग हर बार इसे नामंजूर कर देता है।
कुछ दिनों पहले देवास जेल में अपराधियों के पास से मोबाइल फोन व चार्जर बरामद होने से जेल में अपराधियों के मोबाइल फोन इस्तेमाल करने की आशंका को और बल मिला है।
जेल मुख्यालय के अफसरों को भी अपने गुप्तचरों से कुछ जेलों में मोबाइल फोन इस्तेमाल होने की सूचना लगातार मिल रही है।भोपाल की सेंट्रल जेल 52 एकड़ में है। इसमें जैमर की 21 यूनिट लगाने में साढ़े नौ करोड़ रुपए खर्च होना है। मुख्यालय ने एक साल पहले भी प्रस्ताव भेजा, लेकिन वित्त विभाग ने पुनर्विचार की टीप लगाकर उसे खारिज कर दिया। 2017-18 के बजट में भी जैमर के लिए राशि नहीं दी गई है। इसके बाद फिर से प्रस्ताव भेजा लेकिन इस पर भी वित्त विभाग ने आपत्ति लगा दी। इससे पहले भी दो बार प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है। चार बार के प्रस्तावके बाद अब जेल मुख्यालय ने तय किया है कि इस वित्तीय वर्ष में इसका प्रस्ताव नहीं भेजा जाएगा।