नई दिल्ली, कोविंड-19 के प्रकोप के दौरान लोगों में एंजाइटी, स्ट्रेस और डिप्रेशन की समस्याएं बढ़ी हैं। लेकिन इस समस्या में योग ने लोगों की बहुत मदद की है। यह कोई कोरी कल्पना नहीं बल्कि आईआईटी दिल्ली के ताजा अध्ययन में यह बात सामने आई है। आईआईटी दिल्ली के शोधकर्ताओं का अध्ययन प्रतिष्ठित पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन में सामने आया है कि कोरोना के दौरान लगे लॉकडाउन के 4 से 10 हफ्ते के बीच योगाभ्यास करने वालों में न करने वालों की अपेक्षा स्ट्रेस, एंजाइटी और डिप्रेशन का स्तर काफी कम था। यही नहीं उनमें मानसिक शांति का स्तर भी अधिक पाया गया।
पूजा साहनी के नेतृत्व में आईआईटी दिल्ली के शोधकर्ताओं ने कुल 668 वयस्क प्रतिभागियों पर अध्ययन किया। यह स्टडी 26 अप्रैल से 8 जून, 2020 के बीच कोविंड-19 लॉकडाउन के दौरान की गई। इसमें ग्रुप बनाए गए जिनमें योग प्रेक्टिशनर, अदर स्प्रिचुअल प्रैक्टिशनर और नॉन प्रैक्टिशनर को शामिल किया गया। स्टडी में सामने आया कि मध्यावधि या शुरुआती समूह की तुलना में लांग टर्म योग प्रैक्टिशनर ग्रुप में कोरोना के चलते बीमार होने की चिंता कम थी, उनमें व्यक्तिगत नियंत्रण भी ज्यादा था। इनमें कोविंड-19 के बुरे भावनात्मक प्रभाव और जोखिम के बारे में अन्य ग्रुप की तुलना में कम चिंता थी।
शोध टीम में शामिल पूजा साहनी कहती हैं कि जहां कोरोना के दौरान तनाव को मैनेज करने के तरीकों में से एक योग की सिफारिश की गई है। लेकिन इन दावों का समर्थन करने के लिए अनुभवजन्य साक्ष्य का अभाव था। हमारे अध्ययन ने इसे मैप किया है जो कोरोना की संज्ञानात्मक और भावनात्मक समस्याओं पर योग का प्रभाव दिखा रहा है।