जबलपुर,लम्बे समय से केन्ट बोर्ड में चुनाव की राह देख रहे नेताओं का सपना फिर टूट रहा है. उम्मीद जताई जा रही थी की फरवरी में खत्म हो रहे निर्वाचित मेम्बर्स के एक्सटेंसन पीरियड के पहले या तो चुनाव हो जाएंगे, या कार्यकाल फिर एक्सटेंड होगा. लेकिन रक्षा मंत्रालय ने केन्ट बोर्ड भंग करने के आदेश देकर दावेदारों के सपनों पर पानी फेर दिया. क्योंकि बोर्ड भंग होने के बाद नये नोटिफिकेशन एवं नियमों के साथ चुनाव कराने में अब कम से कम एक साल का समय लगना तय है. दरअसल केंटोनमेंट बोर्ड के निर्वाचित मेंबर्स का एक्सटेंशन पीरियड 10 फरवरी को खत्म होने जा रहा है, इसके साथ ही देश की 56 बोर्ड भंग हो जाएंगे. इस आशय के आदेश मुख्यालय से जारी हो गए हैं. 11 फरवरी से केंट बोर्ड की कमान पूर्णत: प्रशासनिक अधिकारियों के हाथों में चली जाएगी.बीते कई सप्ताह से केन्ट बोर्ड के निर्वाचित सदस्यों के कार्यकाल को लेकर चर्चा का दौर जारी था. लेकिन अब रक्षा मंत्रालय ने इस पर पूर्ण विराम लगा दिया है. रक्षा मंत्रालय से जारी हुए आदेश के तहत जबलपुर सहित देश की 56 केंट बोर्ड के निर्वाचित मेंबर्स का कार्यकाल 10 फरवरी को पूरा होते ही बोर्ड भंग कर दिए जाएंगे. गौरतलब है की निर्धारित समय पर चुनाव नहीं होने के चलते जबलपुर केंट बोर्ड के 8 निर्वाचित मेंबर्स को दो बार छह-छह माह का एक्सटेंशन दिया गया था. नियमानुसार एक्सटेंशन दो बार ही दिया जा सकता है। लिहाजा अब रक्षा मंत्रालय ने बोर्ड भंग करने का निर्णय लिया है.
बोर्ड भंग होने से टूटे सपने
केन्ट बोर्ड भंग होने के बाद फिलहाल एक साल चुनाव होने की संभावना कम है. जिससे सबसे अधिक उदास वो दावेदार हैं जो लम्बे समय से चुनावी तैयारियों में जुटे थे. पहले उम्मीद की जा रही थी कि फरवरी माह में एक्सटेंशन की अवधि के पूरा होने से पहले ही चुनाव करा दिए जाएंगे. लेकिन केन्ट बोर्ड भंग हो जाने से अब तो एक साल के लिए चुनाव टल गए हैं. इसके चलते तमाम चुनावी तैयारियों को झटका लगा है. सबसे बड़ा झटका उन्हें लगा है, जिन्होंने टिकट के लिए सब कुछ दांव पर लगाया दिया था.
नियमों में बदलाव से हुआ विलम्ब
अब तक उपाध्यक्ष चुनाव जीतकर आये सदस्यों के बीच से होता था, लेकिन मंत्रालय ने आदेश जारी किया था की इस बार उपाध्यक्ष का चुनाव अब जनता सीधे करेगी. इसी पैâसले को अमली जामा पहनाने में हुई देरी से चुनाव टलते चले गये. वहीं इस फैसले का नोटिफिकेशन जारी करने में मंत्रालय से देरी हुई. वहीं अब यह प्रस्ताव दोनों सदनों से पास होगा. यदि किसी सदन में कोई अड़चन आई तो प्रस्ताव सलेक्ट कमेटी के पास जाएगा. नहीं आई तो फिर राष्टपति के पास जाएगा, उनके अनुमोदन के बाद तब कहीं जाकर सरकार की ओर से गजट होगा. फिलहाल इस प्रक्रिया में लम्बा समय लगना है, तब तक चुनाव को सिर्फ टलना है.