शार्क और रे मछलियों के विलुप्‍त होने का खतरा,’कब्रगाह’ बना हिंद महासागर

लंदन, एक ताजा शोध में खुलासा हुआ है कि अथाह समुद्र में करोड़ों साल से जिंदगी बिता रहीं शार्क मछलियों पर विलुप्‍त होने का खतरा मंडराने लगा है। बहुत ज्‍यादा मछली पकड़े जाने से शार्क मछलियां हमेशा के लिए खत्‍म हो सकती हैं। इस शोध में कहा गया है कि पिछले 50 साल में 70 फीसदी शार्क म‍छलियां खत्‍म हो गईं।
कनाडा के स‍िमोन फ्रासेर यूनिवर्सिटी और ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी ऑफ एक्‍सटेर के वैज्ञानिकों ने अपने शोध में पाया कि वर्ष 1970 से अब तक मछली पकड़ने पर दबाव 18 गुना बढ़ गया है। इसकी वजह से ब‍िना किसी संदेह के समुद्र के इको सिस्‍टम पर प्रभाव पड़ा है और कई जीव बड़े पैमाने पर विलुप्‍त हो रहे हैं। बड़े पैमाने पर मछली पकड़े जाने से न केवल शार्क मछली बल्कि रे म‍छलियों के पूरी तरह से विलुप्‍त होने का खतरा है। वैज्ञानिकों के दल ने कहा कि शार्क और रे को बचाने के लिए तत्‍काल कदम उठाए जाने की जरूरत है। समुद्री मामलों के विशेषज्ञ डॉक्‍टर रिचर्ड शेर्ले ने कहा क‍ि अगर अभी कदम नहीं उठाए गए तो बहुत देर हो जाएगी। उन्‍होंने कहा कि आशा की बात यह है कि अगर मछली पकड़ने पर वैज्ञानिक तरीके से प्रतिबंध लगाया जाए तो शार्क को बचाया जा सकता है।
वैज्ञानिकों ने पाया कि वर्ष 1970 के बाद से शार्क और रे मछलियों की जनसंख्‍या में 71 फीसदी की गिरावट आई है। इस दल ने पाया कि शार्क और रे मछलियों की 31 में से 24 प्रजातियां अब संकटग्रस्‍त प्रजातियों की सूची में आ गई हैं। यही नहीं समुद्र में पाई जाने वाली ओसेनिक वाइटटिप और ग्रेट हैमरहेड शार्क भी बहुत ज्‍यादा संकट में आ गई है। शोध में पाया गया है कि उष्‍णकटिबंधी इलाके जैसे हिंद महासागर में ये जीव ज्‍यादा तेजी से खत्‍म हो रहे हैं। हिंद महासागर में वर्ष 1970 के बाद से अब तक 84.7 प्रतिशत शार्क मछलियों की आबादी में गिरावट आई है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *