लंबे समय से था कृषि सुधारों का इंतजार, इससे किसानों को होगा फायदा

नई दिल्ली, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर सोमवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में भी कृषि कानून छाये रहे। राष्ट्रपति ने कहा, “कृषि सुधारों का लंबे समय का इंतजार था, इससे किसानों को फायदा होगा। शुरुआती दौर में कृषि कानूनों को लेकर कुछ आशंकाएं थीं, जिन्हें दूर किया जा रहा है।” उन्होंने यह भी कहा कि देश के किसान, वैज्ञानिक और सैनिक विशेष तौर पर प्रशंसा के पात्र हैं और गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर देश उन्हें शुभकामनाएं देता है।
राष्ट्रपति ने कहा, “2020 सीख देने वाला वर्ष रहा है। ऐसे साफ सुंदर पर्यावरण हमें देखने को मिला। भविष्य में ऐसी महामारियों के खतरे को कम करने के लिए जलवायु परिवर्तन पर पूरी दुनिया ज्यादा ध्यान देगी। उन्होंने आपदा को अवसर में बदलने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान का उल्लेख किया, आत्मनिर्भर भारत और किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य का उल्लेख किया, लोगों से महात्मा गांधी, डॉ। भीम राव अंबेडकर के मूल्यों और आदर्शों पर अमल करने को कहा।
राष्ट्रपति ने कहा कि देश की सीमा की सुरक्षा कर सैनिकों पर देश को गर्व है। कोरोना काल का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि देशवासियों ने परिवार की तरह एकजुट होते हुए सेवा और बलिदान देकर देश की रक्षा की है। उन्होंने अग्रिम पंक्ति के योद्धा के तौर पर कोरोना से लड़ने वाले वर्करों डॉक्टरों, हेल्थ वर्करों और सफाईकर्मियों की सेवा और समर्पण को भी याद किया। राष्ट्रपति ने कहा कि विविधता भरे भारत में कोरोना पर काबू पाने में हम काफी हद तक सफल रहे हैं। राष्ट्रपति ने कोरोना की महामारी को काबू में करने के साथ देश में ही वैक्सीन के निर्माण का जिक्र किया। साथ ही सभी लोगों से टीका लगवाने का आह्वान किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षकों ने नई तकनीक को अपनाकर शिक्षा की निरंतरता को बनाए रखा। उन्होंने बिहार समेत कई राज्यों में शांतिपूर्वक विधानसभा चुनाव संपन्न कराने की बात कही। राष्ट्रपति ने कहा कि अर्थव्यवस्था ने फिर मजबूती के संकेत दिए हैं। जीएसटी का रिकॉर्ड संग्रह इसका संकेत है, सरकार ने एमएसएमई के साथ अन्य संकटग्रस्त क्षेत्रों के लिए मदद जारी की है।
राष्ट्रपति ने कहा ” पिछले साल भारत ने कई चुनौतियों का सामना किया। भारत ने विस्तारवादी ताकतों का सामना किया, देश संप्रभुता की रक्षा के लिए किसी भी दुस्साहस का जवाब देने में सक्षम है।” उन्होंने देश की सुरक्षा की खातिर वीरगति को प्राप्त 20 सैनिकों को याद किया। सैनिक सियाचिन, लद्दाख के -50 डिग्री में शरीर को गला देने वाली ठंड से लेकर जैसलमेर के 50 डिग्री की प्रचंड गर्मी में सीमाओं की सुरक्षा में डटे रहते हैं।

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