भोपाल, अब से मध्य प्रदेश के जंगलों में शूटिंग करने पर भी सरकार कमाई की तैयारी कर रही है। प्रदेश के वनों में फिल्मांकन के लिए अब राज्य सरकार कैमरामेनों को अनुमति देगी। इसके लिए एक कैमरामेन को रोजाना 10 हजार रुपए के हिसाब से एडवांस में शुल्क की अदायीगी करनी होगी। तैयार की जाने वाली फिल्म में प्रोड्यूसर को फिल्मांकन वाले जंगल के स्थान का नाम भी दर्शाना होगा। इसका उद्दैश्य प्रदेश के सुरभ्य स्थलों का मुफ्त में प्रचार करना है।
संरक्षित वन क्षेत्रों में ही मिलेगी फिल्मांकन की अनुमति
राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के जंगलों में फिल्मांकन के लिये नए मध्य प्रदेश फिल्मांकन नियम जारी कर दिये हैं। वन विभाग को इको टूरिज्म बोर्ड इसके लिये अनुमति प्रदान करेगा। टाइगर रिजर्व, राष्ट्रीय उद्धान और अभ्यारणों को छोड़कर प्रदेश के अन्य संरक्षित वन क्षेत्रों में फिल्मांकन की अनुमति दी जाएगी। फिल्म प्रोडक्शन को जिस क्षेत्र में फिल्मांकन की अनुमति लेनी है, वहां के वन मंडल अधिकारी, इको टूरिज्म बोर्ड के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, साथ ही राज्य सरकार के प्राधिकृत अधिकारी के द्वारा ये अनुज्ञा पत्र जारी किये जाएंगे। इसके लिये ऑनलाइन आवेदन देना होगा।
इस हिसाब से चुकाना होगा शुल्क
पूरे 24 घंटों के लिये एक कैमरामेन को पहले सात दिन के लिये 10 हजार रुपये प्रति दिन की दर से शुल्क अदा करना होगा। इसके बाद आठवें दिन से प्द्रहवें दिन तक 7 हजार 500 रुपये प्रतिदिन और 16वों दिन या उससे अधिक समय फिल्मांकन की अनुमति लेने के लिये रोजाना 5 हजार रुपये शुल्क अदा करना होगा।
इन्हें रहेगी रिआयत
भारतीय शेक्षणिक, अनुसंधान संस्थाओं तथा राज्य और केन्द्र शासन से जुड़ी संस्थाओं और विभागों को इस शुल्क में राहत रहेगी। इन्हें पहले सात दिनों के लिये 2 हजार रुपये, आठवें से पंद्रह दिन के लिये 1500 रुपये और सौलहवें दिन या उससे अधिक समय के लिये प्रतिदिन 1000 रुपये शुल्क की अदायीगी करनी होगी।
नुकसान की भरपाई नहीं करेगा विभाग
तय नियमों के अनुसार, जिस स्थान पर फिल्म की शूटिंग की जाएगी, फिल्म के चित्रण में उस स्थान के नाम का जिक्र करना अनिवार्य होगा। फिल्मांकन के दौरान होने वाली किसी भी प्रकार की घटना या नुकसान की भरपाई का जिम्मेदार विभाग नहीं होगा। वन क्षेत्र में किसी भी प्रकार के स्थाई निर्माण की नुमति नहीं दी जाएगी। वन्य जीव या वन्य संपदा को नुकसान पहुंचाने की अनुमति कतई नहीं रहेगी। वन क्षेत्र में किसी भी तरह का कूड़ा-कचरा या गंदनी करने की अनुमति नहीं होगी। वन क्षेत्र में बिजली, विस्फोटक या अन्य ज्वलनशील पदार्थ का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं होगी। सरकारी संपत्ति को नुकसान होने पर फिल्म प्रबंधन को ही इसकी भरपाई करनी होगी।