नई दिल्ली, भारत की सबसे ख्यात सार्वजनिक सेवा भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) के 39 अफसरों पर खतरा मंडरा रहा है। दरअसल इन पर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की जांच चल रही है। इन 39 अफसरों में से 29 आईएएस अफसर तो केंद्रीय सचिवालय सेवा में तैनात हैं। सरकार इनके खिलाफ अनुशासनात्मक प्रक्रिया के तरह कार्यवाही करवा रही है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि आईएएस अफसरों के मामले देखने वाली नोडल एजेंसी केंद्रीय कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ही इस जांच प्रक्रिया को देख रहा है। कुल 68 अफसरों के खिलाफ पूछताछ चल रही है। इनमें से कुछ वरिष्ठ स्तर के अधिकारी हैं। इन अफसरों के खिलाफ शिकायतों की जांच के साथ ही उनके सेवा रिकार्ड को भी खंगाला जा रहा है। मानकों के अनुसार एक केंद्रीय कर्मचारी की सेवा की दो बार समीक्षा होती है। पहली बार 15 सालों के बाद और दोबारा 25 सालों की सेवा के बाद होती है। लिहाजा काम में ढिलाई लाजमी है।
129 कर्मियों को दी अनिवार्य रिटायरमेंट
पिछले एक साल में इसीलिए केंद्र सरकार ने काम न करने वाले 129 केंद्रीय कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी है। साथ ही 67,000 अफसरों के सेवा रिकार्ड की भी पड़ताल जारी है। समूचे भारत में ग्रुप ए सेवा में आईएएस, आईपीएस और आईआरएस समेत 25 हजार अधिकारी हैं। 2015 बैच के 175 आईएएस अफसरों की पहली नियुक्ति मंगलवार को केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में सहायक सचिवों के तौर पर मिली है। हालांकि 3 जुलाई से शुरू होने वाली तीन महीने की इन नियुक्तियों से प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को अलग रखा गया है। यह पोस्टिंग केंद्र सरकार की एक अनूठी पहल के तौर पर हुई है। अपने स्टेट कैडर में जाने से पूर्व नौकरशाहों को केंद्र उम्दा ट्रेनिंग देगा।
68 IAS अफसर भ्रष्टाचार के जाल में उलझे,सरकार करा रही है विशेष जांच
