दौसा, ब्रह्मर्षि योगीराज बर्फानी दादा महाराज के नाम से मशहूर लाल बिहारी दास का बुधवार को निधन हो गया है। उन्होंने गुजरात के अहमदाबाद में बुधवार रात 9:45 बजे अंतिम सांस ली। उनके भक्तों का दावा है कि बर्फानी दादाजी की उम्र 150 साल थी। उनकी पार्थिव देह गुरुवार को मेहंदीपुर बालाजी लाई गई। शुक्रवार को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनके निधन की खबर से उनके लाखों अनुयायियों में शोक की लहर छा गई है।
बर्फानी दादा के अंतिम दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में भक्त मेहंदीपुर बालाजी स्थित आश्रम पहुंचे। भक्तों का दावा है कि कुछ दिन पहले ही दादा जी ने अपना समाधि स्थल मेहंदीपुर बालाजी में बनाने का कहा था। भक्तों का यह भी दावा है कि उनकी उम्र करीब 150 साल थी। बताया जाता है कि वे द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कैलाश मानसरोवर में साधना कर रहे थे। युद्ध के अशांत माहौल को छोड़कर हरिद्वार आ गए थे। जहां से अमरकंटक पहुंचे और फिर वहां साधना की। भक्तों का यह भी दावा है कि दादाजी पहले भी अपना शरीर चार बार छोड़ चुके हैं। उन्होंने कुंडलिनी जागरण के जरिए ही यह सिद्धि प्राप्त की थी।
बर्फानी दादा ने अमरकंटक, अयोध्या, भोपाल, इंदौर, ओंकारेश्वर, नागपुर, राजनंदगांव, खैरागढ़, विशाखापट्टनम, आणंदो (कच्छ-गुजरात) में अपने आश्रम स्थापित किए और अपना जीवन समर्पित किया था। उन्होंने मध्यप्रदेश के इंदौर के मालवीय नगर में भी बर्फानी धाम की स्थापना की गई। जहां हर साल शरद पूर्णिमा पर हजारों अस्थमा रोगियों को औषधियुक्त खीर वितरित की जाती है।