नई दिल्ली, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा का 93 साल की उम्र में निधन हो गया है। रविवार रात को वोरा को दिल्ली के फोर्टिस एस्कॉर्ट अस्पताल में भर्ती कराया था। यहां सोमवार को उन्होंने अंतिम सांस ली। मोतीलाल वोरा ने कई वर्षों तक पत्रकारिता के क्षेत्र में काम किया और बाद में 1968 में राजनीति में प्रवेश किया था। वोरा ने रविवार (20 दिसंबर) को ही अपना 93वां जन्मदिन मनाया था। उनके परिवार के सदस्यों ने बताया कि कोरोना वायरस के बाद हुई स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं के बाद यहां एक निजी अस्पतातल में उनका निधन हुआ। वह कुछ हफ्ते पहले ही कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे और कई दिनों तक एम्स में भर्ती रहने के बाद उन्हें छुट्टी भी मिल गई थी। वोरा ने 1970 में मध्यप्रदेश विधानसभा से चुनाव जीता और उन्हें मध्यप्रदेश के सड़क परिवहन निगम के उपाध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया था। उन्हें 1977 और 1980 में मध्यप्रदेश विधानसभा के लिए फिर से चुना गया और 1980 में अर्जुन सिंह कैबिनेट में उच्च शिक्षा विभाग के अध्यक्ष रहे।मोतीलाल वोरा 1983 में कैबिनेट मंत्री बने और उन्हें मध्यप्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष के रूप में भी नियुक्त किया गया। वे 13 मार्च 1985 से 13 फरवरी 1988 तक और 25 जनवरी 1989 से 9 दिसंबर 1989 तक दो बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। 2000 से 2018 तक (18 साल) कांग्रेस के कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाली। उनके साथ एक बार दिलचस्प वाक्या भी हुआ था। हुआ यह था कि 1985 विधानसभा चुनावों में मिली जीत के बाद अर्जुन सिंह ने 9 मार्च 1985 को सीएम पद की शपथ ले ली। शपथ लेने के बाद 10 मार्च को वह राजीव गांधी के पास मंत्रिमंडल की सूची लेकर गए। लेकिन राजीव गांधी अब एमपी की राजनीति में अर्जुन सिंह को नहीं चाहते थे। उन्होंने 2 टूक शब्दों में कह दिया था कि अपनी पसंद के सीएम का नाम बता कर 14 मार्च को पंजाब में पहुंच जाओ। उसके बाद अर्जुन सिंह ने मोतीलाल वोरा का नाम सुझाया था।
उसके बाद अर्जुन सिंह ने अपने बेटे को अजय सिंह को फोन किया था कि मोतीलाल वोरा को स्पेशल विमान से लेकर दिल्ली आ जाओ। स्पेशल विमान से अजय सिंह वोरा को लेकर दिल्ली रवाना हो गए। वोरा को कुछ समक्ष नहीं आ रहा था। वह अजय सिंह से अर्जुन सिंह की कैबिनेट में मंत्री बनने के लिए सिफारिश करवा रहे थे। उस समय रूस दौरे पर निकल रहे तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी से उनकी पालम एयरपोर्ट पर मुलाकात हुई। मोतीलाल वोरा को देखते ही राजीव गांधी ने उन्हें कह दिया कि आप मध्यप्रदेश के सीएम हैं। इस दौरान वहां अर्जुन सिंह और दिग्विजय सिंह भी मौजूद थे।
मोतीलाल वोरा के साथ दिग्विजय सिंह एमपी कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे। वोरा कैबिनेट में ज्यादातर लोग अर्जुन सिंह के थे। बताया जाता है कि 3 साल बाद वनवास काट कर अर्जुन सिंह फिर से एमपी की राजनीति में सक्रिय हो गए। उसके बाद वोरा की कुर्सी चली गई और वह दिल्ली की राजनीति में शिफ्ट गए। राजीव गांधी की सरकार में वह स्वास्थ्य मंत्री बन गए।
मोती लाल वोरा सीएम बनने से पहले अर्जुन सिंह की सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। पहली बार वह 13 मार्च 1985 से लेकर 13 फरवरी 1988 तक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। दोबारा वह 25 जनवरी 1989 को सीएम बने थे। हालांकि इस बार उनका कार्यकाल ग्यारह महीने का ही रहा था। 8 दिसंबर 1989 को इन्हें सीएम पद की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। साल 2019 में मोतीलाल वोरा को अंतरिम अध्यक्ष बनाए जाने की भी चर्चा थी।