देश में अब ब्रिटिश व यूरोप तकनीक से कम खर्चे में बनाये जा सकेंगे पर्यावरण के अनुकूल नेशनल हाईवे

नई दिल्ली, केंद्र सरकार ने ब्रिटिश व यूरोप तकनीक से देश में किफायती, मजबूत व पर्यावरण अनुकूल राष्ट्रीय राजमार्ग बनाने की नीति पर मुहर लगाई है। इसमें नई तकनीक, वैकल्पिक सामग्री और विदेशी कोड का इस्तेमाल किया जाएगा। खास बात यह है कि इस नई नीति से निर्माण कंपनी-ठेकेदार भले ही कम लागत में सड़क परियोजनाएं पूरी करते हैं, लेकिन सरकार को भुगतान पूरा करना होगा। सरकार ठेकेदार से परियोजनाए में बचाए गए पैसों की मांग नहीं कर सकती है। सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय ने 14 दिसंबर को राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण में नई वैकल्पिक सामग्री और नई तकनीक के प्रयोग करने संबंधी आदेश जारी कर दिए हैं। इसमें राजमार्ग निर्माण के इंडियन रोड कांग्रेस आईआरसी कोड-मानक के अलावा ब्रिटिश व यूरोप कोड के प्रयोग करने की इजाजत दी है।
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकरी का कहना है कि राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण में नई-वैकल्पिक सामग्री व तकनीकी भारत में उपलब्ध नहीं है तो निर्माण कंपनी-ठेकेदार विदेशी तकनीक-सामग्री का प्रयोग कर सकते हैं। इस प्रकार के प्रस्ताव को मंजूर करने का अधिकार संबंधित क्षेत्रीय अधिकारी-चीफ इंजीनियर को होगा। कंपनी को सड़क परिवहन मंत्रालय के चक्कर नहीं काटने होंगे। उन्होंने कहा कि शुरूआती दौर में ब्रिटिश-यूरोप तकनीक-सामग्री का प्रयोग पॉयलेट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया जाएगा। इसके बाद इसका विस्तार किया जाएगा।
अधिकारी का कहना है कि नई तकनीक-नई-वैकल्पिक सामग्री से सड़क परियोजना की लागत घटेगी। जिसका लाभ ठेकेदार को मिलेगा। क्योंकि सरकार ठेकेदार को परियोजना मंजूर करते समय तय किए गए रेट के हिसाब से भुगतान करेगी। लागत कम होने से भुगतान की राशि कम नहीं की जाएगी। हालांकि, ठेकेदार का सड़क परियोजना का दोष दायित्व अवधि डिफेट लायबिलिटी परियड10 साल का होगा। यानी इस दौरान राजमार्गेमें किसी प्रकार का दोष होने पर उसे मुफ्त में ठीक करना होगा। वर्तमान में यह अवधि तीन से पांच साल की है। सड़क निर्माण में रोड़ी, पत्थर, गिट्टी, बैलास्ट बड़े पत्थर तारकोल आदि कम इस्तेमाल होने पर प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कम होगा।
इससे पर्यावरण को बचाने में मदद मिलेगी। इसलिए सरकार नई, वैकल्पिक, कृत्रिम सामग्री पर ज्यादा जोर दे रही है। सड़क बनाने से पहले जमीन के स्थिरीकरण में रसायन का प्रयोग, ढाल स्थिरीकरण में जूट का प्रयोग को मंजूरी दी है। इसके अलावा वेस्ट प्लास्टिक, जियो सेंथटिक, संशोधित तारकोल, पुराने भवनों-इमारतों के मलबे, कोयला-परमाणु संयत्रों से निकलने वाली लोहे, स्टील, कॉपर की स्लग व राख को राजमार्ग निर्माण में प्रयोग किया जाएगा।

 

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