बीजिंग, चीन ने खुद को दुनिया का सबसे ताकतवर देश बनाने के लिए इंसानियत को ताक पर रख दिया है। खबर आ रही है कि वहां सैनिकों पर ऐसे जैविक प्रयोग किए जा रहे हैं ताकि उनकी अंदरुनी संरचना में बदलाव किया जा सके। जैविक प्रयोगों के माध्यम से चीन सुपर सोल्जर तैयार करेगा, जो युद्ध की स्थिति में किसी भी चुनौती का मुकाबला कर सकें और जिनमें कोई भावना न हो।
अब तक हमने जेनेटिक इंजीनियरिंग की बातें फसलों और पशुओं पर ही सुनी थीं, लेकिन चीन सबसे अलग है। उसने अपने लोगों पर यह प्रयोग शुरू कर दिया है। अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया एजेंसी के डायरेक्टर जॉन रेटक्लिफ ने यह खुलासा किया है। माना जा रहा है कि प्रयोग सफल रहा तो चीनी सैनिक पूरी दुनिया के प्रशिक्षित सैनिकों पर भारी पड़ने वाले हैं। जिस प्रक्रिया से चीन सैनिकों के बायोलॉजिकल छेड़छाड़ कर रहा है, उसे क्लस्टर्ड रेगुलरली इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पेलिंड्रोमिक रिपीट्स (सीआरआईएसपीआर) के नाम से जाना जाता है। यह असल में एक डीएनए स्ट्रक्चर है, जो बैक्टीरिया आदि में होता है। अब तक इसका इस्तेमाल बीमारियों से बचाव के लिए होता था। साथ ही फसलों की ज्यादा उन्नत किस्म तैयार करने में भी इस तकनीक का उपयोग होता है। इससे संकर नस्लें पैदा होती हैं, जो बेहतर फसल देती हैं।
चीन अब सैनिकों को बेहतर सैनिक बनाने के लिए उनके डीएनए में बदलाव करने जा रहा है। जीन एडिटिंग की तकनीक के बारे में पहले से ही वैज्ञानिकों को डर सता रहा था कि आगे चलकर इसका इस्तेमाल इंसानों पर भी किया जा सकता है। चीन के मामले में यह डर सच साबित हुआ है। इस मामले में चीनी वैज्ञानिक ही जियानकुई का नाम सामने आया है। इस वैज्ञानिक ने साल 2018 में ही सात जोड़ों के साथ ये जैविक प्रयोग किया था। फिलहाल इसके नतीजे सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। अंदेशा है कि डीएनए में मिलावट से तैयार शख्स पूरी तरह से सेना के लिए काम का होगा। उसका दिमाग हमेशा आक्रामक तरीके से सोचेगा और शरीर भी उसी तरह का होगा। हालांकि चीन ने इस बारे में कोई बयान नहीं दिया है लेकिन आंतरिक दस्तावेजों से इसकी पुष्टि होती है।
सीआरआईएसपीआर-सीएएस तकनीक के बारे में चीनी रक्षा विभाग का एक दस्तावेज गलती से मीडिया में आ गया। इसमें चीन ने खुद स्वीकार किया कि वे सन 2016 से जीन-एडिटिंग पर काम कर रहे हैं, ताकि सैनिकों की ताकत बढ़ जाए। माना जा रहा है कि चीन लगातार खुफिया ढंग से सैनिकों के डीएनए में बदलाव कर रहा है। यहां तक कि खुद सैनिकों को इसकी खबर नहीं कि उनके शरीर को केवल सेना के काम आने लायक बनाया जा रहा है। वैज्ञानिक जर्नल नेचर बायोटेक्नोलॉजी में इस बारे में बेहद खौफनाक रिपोर्ट आ चुकी।
इससे सैनिकों के शरीर में काफी बड़े स्तर पर बदलाव किया जा सकता है। जीन ए़डिटिंग की यह तकनीक वैसी ही है, जैसे पशुओं को मिलाकर नया पशु तैयार करना। चूंकि चीन ने जैविक बदलाव सेना के लिए काम आने वाले लोगों में कर रहा है, लिहाजा उनमें डीएनए में वैसी ही छेड़छाड़ होगी, जो सैनिक की खूबियां हो सकें। जैसे उनमें दया या संवेदनशीलता नाम की चीजें नहीं होंगी। ऐसे में युद्ध के हालात में वे काफी क्रूर हो जाएंगे और लोगों को बेरहमी से मारेंगे। जीन एडिटिंग से जल्द ही सैनिकों के शरीर में दूसरे खतरनाक बदलाव भी दिखेंगे। जैसे डीएनए बदलते हुए ऐसी जीन डिलीट कर दिए जाएंगे, जिसका होना जरूरी है तो शरीर में कई गंभीर बीमारियां घर कर जाएंगी। कैंसर से लेकर ऐसी बीमारियां भी हो सकती हैं, जिनके बारे में वैज्ञानिकों को कोई अंदाजा तक नहीं।