भोपाल,प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में गो-संवर्धन एवं गो-संरक्षण के लिए अन्य प्रदेशों की तरह ‘काऊ सेस” (गो-सेवा उपकर) लगाए जाने पर भी विचार किया जा रहा है। इससे गो-पालन के लिए पर्याप्त राशि सरकार को प्राप्त हो सकेगी तथा इस पावन कार्य में सभी की भागीदारी भी होगी। मुख्यमंत्री मंत्रालय में सालरिया गो-अभयारण्य में गोपाष्टमी (22 नवंबर) को होने वाले आयोजन की तैयारियों की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में गो-संरक्षण एवं संवर्धन के लिए गो-कैबिनेट बनाई गई है। प्रदेश में गो-पालन एवं गो-उत्पादों को बढ़ावा दिया जाएगा। इसमें जनता एवं समाजसेवी संगठनों की सहभागिता सुनिश्चित की जाएगी। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में गो-पालन के अंतर्गत देशी नस्ल को बढ़ावा दिया जाएगा। गो-काष्ठ लकड़ी का श्रेष्ठ विकल्प है, अत: इसका उत्पादन बढ़ाया जाएगा। गाय के दूध, गोबर एवं गो-मूत्र से बने उत्पादों को बढ़ावा दिया जाएगा। गो-अभयारण्य सालरिया में आधुनिक गो-अनुसंधान केंद्र भी खोला जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रदेश में स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा 627 गो-शालाएं संचालित हैं, जिनमें एक लाख 66 हजार गो-वंश का पालन किया जा रहा है। प्रदेश में निराश्रित गो-वंश लगभग 8.5 लाख है। अपर मुख्य सचिव जेएन कंसोटिया ने बताया कि गाय के लिए दान करने पर आयकर में छूट का प्रावधान है। बैठक में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, अपर मुख्य सचिव मनोज श्रीवास्तव आदि उपस्थित थे।मालूम हो, गोपाष्टमी के दिन मुख्यमंत्री गो-अभयारण्य सालरिया जाकर गो-पूजन करेंगे। इस आयोजन में देशभर के 14 प्रमुख गो-विशेषज्ञ शामिल हो रहे हैं, जिनके साथ गो-संरक्षण एवं संवर्धन के संबंध में चर्चा करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें सालरिया गो-अभयारण्य को आदर्श बनाना है। गौरतलब है कि राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में कई उत्पादों पर इस तरह का उपकर या सेस लिया जाता है। इन्हीं राज्यों की तर्ज पर अब मध्यप्रदेश में भी गो-सेवा उपकर लगाए जाने पर विचार किया जा रहा है।