नई दिल्ली,अमेरिका के बाद भारत कोरोना महामारी से सबसे अधिक प्रभावित देश है। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है और उसे उबरने में लंबा समय लग सकता है। आक्सफोर्ड इकानामिक्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक महामारी का प्रकोप खत्म होने के बाद भी भारत बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक प्रभावित देश होगा। भारत को इससे उबरने के लिए 2025 तक संघर्ष करना पड़ सकता है।
हेड ऑफ इकनॉमिक्स फॉर साउथ एशिया एंड साउथ-ईस्ट एशिया प्रियंका किशोर ने रिपोर्ट में लिखा कि कोरोनावायरस के संक्रमण से पहले ही भारत में बैलेंस शीट स्ट्रेस बनने लगा था और महामारी ने स्थिति को और गंभीर बना दिया। उनके मुताबिक अगले 5 साल में देश में ग्रोथ रेट 4.5 फीसदी रह सकती है जो महामारी से पहले 6.5 फीसदी थी। उन्होंने कहा कि सभी सप्लाई साइड फैक्टर्स इसका असर महसूस कर रहे हैं, केवल ह्यूमन कैपिटल का योगदान प्री-कोविड बेसलाइन से अपरिवर्तित रहा है। महामारी के बाद बैलेंस शीट स्ट्रेस और बढेगा जिससे इनवेस्टमेंट रिकवरी साइकल लंबा खिंचेगा। उन्होंने कहा कि 2020 से पहले ही अर्थव्यवस्था की स्थिति खराब होने लगी थी। कंपनियों की बैलेंस शीट पर दबाव था, बैंकों का एनपीए बढ़ रहा था, एनबीएफसी कंपनियां परेशानी में थी और बेरोजगारी बढ़ रही थी। आने वाले दिनों में स्थिति और बदतर होगी। इससे इकॉनमी में लॉन्ग टर्म समस्याएं खड़ी होंगी। इससे भारत की ग्रोथ रेट प्री-कोविड लेवल से कहीं नीचे चली जाएगी। इकॉनमी में गिरावट के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2025 तक भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बनाने का लक्ष्य रखा है। सरकार ने इकॉनमी को गति देने के लिए कई उपायों की घोषणा की है, लेकिन वे मांग को बढ़ाने के लिए नाकाफी साबित हुए हैं। आरबीआई के हाल में प्रकाशित एक पेपर में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था तकनीकी रूप से मंदी में प्रवेश कर गई है।
भारत की अर्थव्यवस्था पर कोरोना का 2025 तक रहेगा असर, ग्रोथ रेट रह सकती है 4.5 फीसदी
