नई दिल्ली,कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। वैज्ञानिकों ने इस वायरस के मानव शरीर और मन पर पड़ने वाले असर को लेकर अध्ययन शुरु किया है। अध्ययन में सामने आया है कि वायरस मरीज के फेफड़े के साथ मस्तिष्क पर भी गहरा असर डालता है। विशेषज्ञों के मुताबिक संभव है कि संक्रमण के चलते मानव मस्तिष्क की उम्र 5 साल तक कम हो सकती है। इससे अल्जाइमर, पार्किंसन और डिमेंशिया जैसी दिक्कतें पैदा हो सकती हैं। कोरोना संक्रमण की वजह से कई तरह की तकलीफें भी देखने को मिल सकती हैं। कोरोना मरीजों में हो रहे बदलावों पर नजर रख रहे लखनऊ के आरएमएल अस्पताल के न्यूरो सर्जरी विभाग के हेड डॉ दीपक कुमार सिंह ने बताया कि मस्तिष्क की उम्र घटना किसी के लिए अच्छा नहीं होता। इससे अल्जाइमर, पार्किंसन और डिमेंशिया जैसी दिक्कतें आ सकती हैं।
डॉ दीपक ने बताया कि कोरोना संक्रमित मरीजों में स्ट्रोक के मामले काफी हैं। यह स्ट्रोक संक्रमण की वजह से दिमाग पर गहरा असर छोड़ रहे हैं। डॉ दीपक ने बताया कि वायरस सीधे तौर पर मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं की इंडोलिथियम पर हमला करता है। इससे नसों में थून के थक्के बनने लगते हैं और स्ट्रोक होता है। उल्लेखनीय है कि इंडोलिथिम नसों में खून को जमने नहीं देता है। ऐसे में अगर मरीज को 4 घंटे के अंदर इंजेक्शन नहीं दिया गया तो उसे बचाना मुश्किल होता है। डॉ दीपक ने बताया कि अगर दिमाग में किसी भी तरह की तकलीफ होती है तो शरीर के किसी न किसी अंग पर गहरा असर होता है। मस्तिष्क की कोशिकाएं शरीर के दूसरे अंगों की प्रक्रिया में मदद करती है। ऐसे में अगर वायरस कोशिकाओं पर हमला कर उन्हें नष्ट कर देते हैं तो इसका सीधा असर मस्तिष्क के साथ ही शरीर के अंगों पर भी पड़ता है।