भोपाल, मध्यप्रदेश के ग्वालियर व चंबल संभाग में भी रविवार देर रात भारी बारिश हुई। ग्वालियर में सबसे ज्यादा 58.1 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है। इससे वहां नवंबर में हुई बारिश का पिछले 10 सालों का रिकॉर्ड टूट गया। इससे पहले ग्वालियर में वर्ष 2009 में 63 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई थी। इसके चलते वहां के न्यूनतम तापमान में 2.2 डिग्री की गिरावट दर्ज की गई है। ग्वालियर के अलावा सेवडा में 30, संबलगढ में 24 मिलीमीटर तक बारिश दर्ज की गई। वहीं दतिया में 1.4, गुना में 2.4, मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है। इधर, मप्र के अन्य जिलों में मौसम में कोई खास परिवर्तन नहीं रहा। देश के उत्तरी मैदानी इलाकों में रविवार रात मौसम ने अचानक करवट ली। उत्तर प्रदेश में के कई इलाकों में रविवार देर रात अचानक हुई बारिश से वहां के न्यूनतम तापमान में गिरावट दर्ज की गई। वर्तमान में मप्र के अधिकतर जिलों में न्यूनतम और अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक दर्ज किए गए है। भोपाल में रविवार रात न्यूनतम तापमान 17.7 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया, जो कि सामान्य से 3.2 डिग्री अधिक है। इसी तरह इंदौर में भी न्यूनतम तापमान 18.8 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया, जो कि सामान्य से 4.7 डिग्री अधिक है। ग्वालियर में न्यूनतम तापमान 17.5 डिग्री दर्ज किया गया है, जो कि सामान्य से 5.1 डिग्री अधिक है। वहीं जबलपुर में न्यूनतम तापमान 17.6 डिग्री दर्ज किया गया, जो कि सामान्य से 3.4 डिग्री अधिक है। इस तरह मप्र के चार बडे संभागों में न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक रिकॉर्ड किए गए है। उत्तर भारत में हुई बर्फबारी और का असर फिलहाल मप्र के किसी जिले में दिखाई नहीं दे रहा है। आगामी दो दिन के अंदर हवा का रूख बदलने पर मप्र में कड़ाके की ठंड पडने की संभावना है। मौसम विज्ञानी एके शुक्ला ने बताया कि वर्तमान में मध्य प्रदेश में हवा का रूख दक्षिणी है। उन्होंने बताया कि जब उत्तर भारत में पश्चिमी विक्षोभ होता है तो मप्र में हवा का रूख दक्षिणी हो जाता है। ये हवा समुद्र से नमी लाती है तो तापमान बढता है। जब देश के उत्तरी हिस्से में यह सिस्टम गुजर जाता है तो बर्फ पिघलती है। दो से तीन दिन बाद मप्र में हवा का रूख उत्तरी हो जाएगा। इसके चलते मप्र में भी ठंड पडना शुरू हो जाएगी।