नई दिल्ली, गुड्स एंड सर्विस टैक्स के लागू होने के बाद (स्वर्ण कारोबार) गोल्ड, सिल्वर, डायमंड ज्वैलरी खरीदना और बेचना दोनो ही महंगा हो जाएगा। नगद खरीदारी से लेकर जेवरात बेचकर नगद लेने में अब कई सारे नए नियमों का पालन करना होगा। इसके साथ ही जीएसटी लागू होने के बाद ज्वैलरी खरीदने से लेकर उसे बेचने के लिए अब कन्ज्यूमर टैक्स चुकाने होंगे। साथ ही कारोबारियों के लिए कई सारे कॉम्प्लायंस भी बढ़ जाएंगे।
-सोने की खरीदी-बिक्री पर 2 बार देना होगा टैक्स
जीएसटी के बाद ग्राहक को अब दो बार टैक्स देना होगा। ग्राहक अब अगर 50 ग्राम की अपनी ज्वैलरी बेचे और 70 ग्राम की नई ज्वैलरी खरीदी, तो उसे दो बार टैक्स चुकाना होगा। सोना बेचने वाले ज्वैलर को पुरानी ज्वैलरी 50 ग्राम पर 3 फीसदी रिवर्स चार्ज चुकाना होगा। नई ज्वैलरी 70 ग्राम पर अलग 3 फीसदी जीएसटी चुकाना होगा। जीएसटी के नये नियम के मुताबिक ऐसा इसलिए है क्योंकि इस खरीदी बिक्री में ग्राहक एक अनरजिस्टर्ड डीलर है जिससे ज्वैलर सोना खरीद रहा है। पुरानी ज्वैलरी खरीदने पर ज्वैलर को 3 फीसदी रिवर्स चार्ज सरकार को देना होगा और इस पर उसे सरकार की तरफ से रिटर्न (3 फीसदी रिवर्स चार्ज का) नहीं मिलेगा। ऐसे में ज्वैलर ये 3 फीसदी रिवर्स चार्ज कस्टमर से लेगा।
– स्वर्ण कारोबारी 10 हजार से ज्यादा कैश नहीं दे सकता
जीएसटी के लागू होने के बाद ज्वैलर को 10,000 रुपए से अधिक की पेमेंट चेक से ही करनी है। ज्वैलर 10,000 रुपए से अधिक की ट्रांजेक्शन नगद में नहीं कर सकता। अब ग्राहक अगर 4 या 5 ग्राम का सोना बेचे और उसका अमाउंट 11,000 रुपए बनता है, तो चेक से ही पेमेंट करेगा। इसके अलावा पुरानी ज्वैलरी बेचने से हुई इनकम को अपनी इनकम टैक्स रिटर्न में भी दिखाना होगा।
-10,000 से ज्यादा का लेन देन होगा ऑन रिकॉर्ड
जीएसटी लागू होने के बाद ग्राहक के 10,000 रुपए से ज्यादा की ज्वैलरी बेचने पर ज्वैलर चेक देगा। चेक से केवाईसी हो जाएगी और 10,000 रुपए से ज्यादा की सभी ट्रांजेक्शन ऑन रिकॉर्ड अपने आप हो जाएगी। मालूम हो कि अभी तक 2 लाख की ज्वैलरी खरीदने पर कस्टमर का पैन कार्ड जरूरी है।