काठमांडू,पड़ोसी देश नेपाल एक बार फिर बड़े राजनीतिक संकट के मुहाने पर खड़ा है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और पार्टी के सह अध्यक्ष पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड के बीच लंबे समय तक सुलह की कोशिशें नाकाम हो गई हैं और सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में बंटवारा तय माना जा रहा है। पुष्प कमल दहल की ओर से पार्टी मीटिंग को लेकर दबाव डाले जाने पर ओली ने साफ कह दिया है कि इन बैठकों की आवश्यकता नहीं है और यदि उनके खिलाफ फैसला लिया जाता है तो वह ‘बड़ा ऐक्शन’ ले सकते हैं। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के अस्तित्व में आने के बाद से ही इसमें तीन खेमे हैं और दो मिलकर तीसरे को अल्पमत में डाल सकते हैं। काठमांडू पोस्ट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस समय दहल और वरिष्ठ नेता माधव कुमार नेपाल साथ हैं। हालांकि ओली ने झुकने से इनकार कर दिया है और पार्टी में बंटवारे को तैयार हैं। ओली की ओर से ‘बड़े ऐक्शन’ की धमकी को लेकर नेपाल में अटकलों का दौर चल पड़ा है। राजनीतिक हलको से लेकर आम लोगों के बीच यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि ओली आखिर किस बड़े ऐक्शन की बात कर रहे हैं। माधव कुमार नेपाल के करीबी एक कमिटी सदस्य ने पहचान गोपनीय रखने की शर्त पर कहा ओली अब को गिराने के लिए धमकाने की रणनीति अपना रहे हैं। चूंकि वह सत्ता में हैं, वह सरकार की अगुआई कर रहे है, वह सरकारी मशीनरी को नियंत्रित करते हैं, ओली खुद को ताकतवर मानते हैं। इस अध्यादेश में कहा गया था कि पार्टी में बंटवारे या नई पार्टी के रजिस्ट्रेशन के लिए संसदीय पार्टी या सेंट्रल कमिटी के 40 फीसदी सदस्यों की सहमति की आवश्यकता होगी। हालांकि, कई नेता मानते हैं कि ओली यदि इससे भी बड़ा कोई कदम उठा लें तो हैरानी की बात नहीं होगी। पार्टी के कई नेताओं का यह भी कहना है कि ओली संसद को भंग कर सकते हैं।
ओली और प्रचंड के बीच सुलह की कोशिश नाकाम, प्रचंड को मिली बड़े ऐक्शन की धमकी
