नई दिल्ली, देश की राजधानी दिल्ली के सबसे सस्ते और सुलभ परिवहन के साधन दिल्ली मेट्रो ने कोरोनाकाल में लंबी प्रतीक्षा के बाद आखिरकार परिचालन शुरू कर दिया है। दिल्ली मेट्रो ने कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए कोच में भीड़भाड़ कम करने का तरीका खोज निकाला है। कोरोना काल से पहले हर कोच में करीब 250 लोग सफर करते थे लेकिन अब कोच के अंदर 50 से अधिक यात्री नहीं चढ़ पाएंगे। ट्रेन में चढ़ने वाले यात्रियों के वजन से मेट्रो इसका पता लगाएगी। ट्रेन में जब यात्री चढ़ते है तो ट्रेन में बढ़ते वजन की जानकारी चालक के पास पहुंच जाती है। सेंसर्स के जरिए वजन की यह जानकारी ट्रेन के वजन से अलग होता है। मेट्रो एक यात्री की औसतन वजन 60-65 किलो मानता है। एक कोच की वजन करीब 42 टन (4200 किलो) होता है। यानी कोच वजन से अलग 300 किलो वजन बढ़ा तो कोच में 50 से अधिक यात्री मौजूद है। हर कोच में औसतन 50 से अधिक लोग है। उसके बाद भीड़ के आधार पर अगले स्टेशन यात्रियों को उसमें चढ़ने से रोका जा सकता है।
मेट्रो में भीड़ ना हो इसके लिए मेट्रो की प्राथमिकता भीड़ को प्रवेश गेट पर ही रोकने की है। मगर जो अंदर है उसकी वजह से कोच के अंदर भीड़ ना हो इसके लिए कोच के अंदर भीड़ बढ़ने पर स्टेशन पर ट्रेन नहीं रुकेगी। जरूरत पढ़ने पर छोटे-छोटे लूप पर खाली ट्रेन चलाई जाएगी। इससे स्टेशन पर भीड़ कम की जा सके। कोविड से पहले आठ कोच वाली ट्रेन में 2000-2200 लोग सफर करते थे। मगर सामाजिक दूरी का पालन कराने के लिए अब यह संख्या संख्या प्रति कोच 50 रखी गई है।
वैशाली, नोएडा सिटी सेंटर, हुडा सिटी सेंटर जैसे कुछ टर्मिनल स्टेशन भी चिन्हित किए है जहां पर यात्रियों की भीड़ अधिक होती है। उसमें शुरूआत में कोच भर जाते है। अगले स्टेशन पर इन ट्रेन को नहीं रोका जाएगा। अगले स्टेशन के यात्रियों के लिए और ट्रेन में भीड़ ना हो इसके लिए हर टर्मिनल स्टेशन से हर 3 या 4 राउंड (भीड़ पर निर्भर करेगा) में इन स्टेशनों से खाली ट्रेन चलेगी। इसके अलावा हौज खास, कश्मीरी गेट, राजीव चौक जैसे स्टेशनों पर भी भीड़ हो सकती है। इसके लिए छोटे लूप की ट्रेन भी चलाई जाएगी। कोरोना काल से पहले सामान्य दिनों में पीक आवर्स व नॉन पीक आवर्स में ट्रेन की फीक्वेंसी अलग-अलग होती थी। मगर कोविड महामारी के दौरान दोनों समय एक जैसी फ्रीक्वेंसी रखने की योजना है। इसका मकसद यह है कि यात्रियों को अलग-अलग टाइम आने के लिए कहा जा सके। कोविड के चलते फ्रीक्वेंसी भी ढाई मिनट से बढ़कर पांच मिनट से ज्यादा होगी। मगर दोनों नॉन पीक आवर्स व पीक आवर्स दोनों समय एक जैसे होगी।