अंबाला, राफेल लड़ाकू विमान को गुरुवार को अंबाला एयरबेस पर औपचारिक तौर पर भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया है।इसके पहले रक्षामंत्री राजनाथ और फ्रांसीसी समकक्ष फ्लोरेंस पार्ली की मौजूदगी में सर्वधर्म पूजा की गई। चीन के साथ जारी विवाद के बीच में राफेल लड़ाकू विमान का भारतीय वायु सेना के बेड़े में शामिल होने को बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है। बता दें कि अंबाला एयरबेस पर सभी 5 राफेल लड़ाकू विमान को वाटर कैनन से सलामी दी गई। इसके पहले एयर-शो हुआ, जिसमें राफेल विमानों ने आसमान में अपनी ताकत दिखाई।
अंबाला एयरबेस पर राफेल विमान की 17 गोल्डन एरो स्क्वॉड्रन में औपचारिक तौर पर एंट्री इतिहास के पन्नों पर दर्ज हो गई है। 4.5 पीढ़ी वाले राफेल विमान ने फ्लाईपास्ट के शुरू होने के साथ ही आसमान में अपनी ताकत का एक नमूना पेश किया। राफेल लड़ाकू विमानों को जिन हथियारों से लेस किया जाएगा उनमें मेटयोर मिसाइल, स्कैल्प क्रूज मिसाइल और एमआईसीए हथियार प्रणाली शामिल है। इसके अतिरिक्त वायुसेना राफेल लड़ाकू विमानों का साथ देने के लिए मध्यम दूरी की मारक क्षमता वाली, हवा से जमीन पर वार करने में सक्षम अत्याधुनिक हथियार प्रणाली ‘हैमर’ भी खरीद रही है। हैमर (हाइली एजाइल मॉड्यूलर म्यूनिशन एक्स्टेंडेड रेंज) लंबी दूरी की मारक क्षमता वाली क्रूज मिसाइल है, जिसका निशाना अचूक है।
वायुसेना में राफेल का शामिल होना महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक क्षण
इस मौके पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि वायुसेना में राफेल का शामिल होना एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक क्षण है। राजनाथ ने कहा कि हमारे मित्र देश फ्रांस के साथ राफेल डील भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा में एक गेम चेंजर है। इसका लांग रेंज ऑपरेशन, अपने वजन के बराबर सामान और अतिरिक्त फ्यूल रखने की क्षमता और तेज स्पीड जैसी खूबियां इसे बेहतरीन एयरक्राफ्ट में से एक बनाती हैं। राजनाथ ने कहा कि आज राफेल का इंडक्शन पूरी दुनिया, खासकर हमारी संप्रभुता की ओर उठी निगाहों के लिए एक बड़ा और कड़ा संदेश है। हमारी सीमाओं पर जिस तरह का माहौल हाल के दिनों में बना या बनाया गया है उनके लिहाज से ये इंडक्शन बहुत ही अहम है। उन्होंने कहा कि ये अपनी सीमा सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता का भी एक बड़ा उदाहरण प्रस्तुत करता है।
उन्होंने कहा कि रक्षा की मजबूती के पीछे हमारा उद्देश्य हमेशा से विश्व शांति की कामना रहा है और आज भी है। इस राह में हमारा देश कोई भी ऐसा कदम न उठाने के लिए प्रतिबद्ध है जिससे कहीं भी शांति भंग हो। ये ही अपेक्षा हम अपने पड़ोसी और दुनिया के बाकी देशों से भी करते हैं।