जेईई एग्जाम देने बाइक से 100 किलोमीटर का सफर तय कर परीक्षा देने पहुंचे छात्र

भोपाल, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा (जेईई-मेन्स) देशभर में मंगलवार से शुरू हो गई। ये परीक्षा छह सितंबर तक होगी। इसके लिए देशभर में 660 परीक्षा सेंटर बनाए गए हैं। मध्य प्रदेश के 11 जिलों में परीक्षा आयोजित की गई। लेकिन सरकार के दावों और इंतजाम की पोल खुल गई। परीक्षार्थियों को 100-100 किमी से अपने वाहन से परीक्षा देने आना पड़ा। जबकि मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि हर परीक्षार्थी को सरकार नि:शुल्क परीक्षा केंद्र तक पहुंचाएगी।
भोपाल और इंदौर में 4-4 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। इन परीक्षा केंद्रों पर पहले दिन परीक्षार्थी 100-100 किमी दूर से अपनी कार या बाइक से परीक्षा देने पहुंचे। कुछ अभिभावकों ने बताया कि सरकार ने परीक्षा केंद्र तक परीक्षार्थियों को पहुंचाने की घोषणा की थी, लेकिन बस आना तो दूर रजिस्ट्रेशन तक नहीं हो पाया।
व्यवस्था की पोल खोली
भोपाल में 4 सेंटर बनाए गए हैं। हर केंद्र में करीब 240 बच्चे एग्जाम दे सकते हैं। परीक्षा केंद्रों पर पहुंचे अभिभावकों ने प्रदेश सरकार द्वारा छात्र-छात्राओं को लाने और ले जाने की व्यवस्था की पोल खोली। अभिभावकों का कहना था कि व्यवस्था तो दूर की बात रही, कॉल ही नहीं लगा। इसके कारण तनाव भी आया और गुस्सा भी, लेकिन बच्चों के भविष्य का सवाल था। इसलिए फिर खुद ही उन्हें लेकर सेंटर तक पहुंचे। भोपाल से करीब 100 किलोमीटर दूर शाजापुर के कालापीपल से दिनेश अपनी बेटी को लेकर अयोध्या बायपास स्थित कॉलेज में बने जेईई एग्जाम सेंटर पहुंचे। उन्होंने बताया- एक दिन पहले समाचारों के जरिए सरकार द्वारा बच्चों को सेंटर तक पहुंचाने के लिए गाडिय़ों का इंतजाम किए जाने की जानकारी मिली थी। इसके लिए टोल फ्री नंबर 181 पर हम लगातार कॉल करते रहे, क्योंकि उसमें रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी था। कोई जवाब ही नहीं मिला। फिर बाइक से बेटी को एग्जाम दिलाने पहुंचे।
इस पर भी नाराजगी
अब तक अभिभावकों को सेंटर के कैंपस में प्रवेश दिया जाता था। ऐसे में वह अंदर बैठकर अपना समय निकाल लेते थे, लेकिन इस बार कोविड-19 के चलते छात्रों के अलावा किसी को भी कैंपस में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। अभिभावकों को बाहर सड़क पर ही खड़े रहना पड़ा। इसको लेकर भी उन्होंने नाराजगी जाहिर की। यहां न तो पीने के पानी का इंतजमा था और न ही बैठने तक की जगह। हालांकि परीक्षा आयोजित कराने वाले कर्मचारी बीच-बीच में लोगों को सड़क से दूर रहने की हिदायत देते रहे, ताकि किसी तरह की दुर्घटना से बचा जा सके।

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