शोधकर्ता हैरत में शिकारी जीवाश्म के पेट में ‎मिला 4 मीटर बड़ा जानवर

लंदन, हाल ही में पाए गए एक जीवाश्म ने शोधकर्ताओं को हैरत में डाल दिया। शोधकर्ताओं को एक विशाल शिकारी जीव के जीवाश्म के पेट के अंदर एक सरीसृप का जीवाश्म मिला जिसकी खुद की लंबाई चार मीटर थी। दक्षिण पश्चिम चीन में एक खुली खदान में खुदाई के दौरान जीवाश्म विज्ञानियों ने एक विशालकाय डॉलफिन जैसे समुद्री सरीसृप के पूरे कंकाल को पाया। इचियोसॉर नाम के इस जीव के पेट में ही एक और जीवाश्म देख कर शोधकर्ता हैरान रह गए थे। यह दूसरा जीवाश्म चार मीटर लंबे छिपकली जैसे जलीय सरीसृप का था जिसे थालाटोसॉर कहा जाता है। यह समुद्री जीवाश्म के पेट में अब तक का पाया गया सबसे लंबा जीवाश्म है। शोधकर्ता भी यह दावा करने की स्थिति में नहीं हैं कि थालाटोसॉर का शिकार किया गया था या फिर उसे मरने के बाद खाया गया था। इसके बावजूद शोधकर्ताओं का कार्य या धारणा तोड़ने के लिए काफी है जिसके मुताबिक इचियोसॉर जैसे ट्रियासिक समुद्री सरीसृप केवल सेफलापोड खाने वाले जीव माने जाता थे। इस खोज से साफ है कि वे बड़े शिकारी जीव थे। डेविस में कैलीफोर्निया यूनिवर्सिटी के पेलियोबायोलाजी यानी जीवाश्म जीवविज्ञान के प्रोफेसर और इस अध्ययन के सहलेखक रियोसूके मोटानी का कहना है, “अगर आप इस तरह के सभी समुद्री सरीसृप जीवों को देखें, जो डायनासोर के युग में थे, तो हमने वास्तव में कभी भी पेट में इस तरह की चीज नहीं पाई है” मोटानी ने बताया, ”इस इचियोसॉर के पेट में जो अव्यव पाए गए उन पर पेट के एसिड का असर नहीं हुआ था इसका मतलब यह हुआ कि यह अपने भोजन को निगलते ही मर गया होगा। शोधकर्ताओं के इतने कठिनाई से विश्वास करने की एक वजह है।आज के जमाने के शिकारी जीव जैसे मगरमच्छ भी अपने बड़े शिकार का खाने कि लिए तीखे दांतों का उपयोग करते हैं। इचियोसॉर के भी इसी तरह के दांत हैं, लेकिन उनके बड़े जानवर का शिकार करने के कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं मिले थे। इसलिए वैज्ञानिकों को लगता था कि वे सेफालोपोड्स जैसे छोटे जीवों का शिकार करते होंगे।लेकिन मोटानी, चीन में पेकिंग यूनिवर्सिटी के जीवाश्मविज्ञानी डा-योगं जियांग और उनके साथियों ने इचियोसॉर के पेट में थालाटोसॉर की खोज से साफ हुआ कि ऐसा कुछ नहीं है। शोधकर्ताओं की टीम अब भी वहां और जीवाश्म खोज रही है। शोधकर्ताओं पिछले दस साल से इस खदान में खुदाई कर अध्ययन कर रहे हैं, और उन्हें नई चीजें भी मिल रही है। मोटानी ने बताया, “अब हम गंभीरता से मान सकते हैं कि वे बड़े जानवर खाया करते थे, भले ही उनके दांत बहुत ज्यादा तीखे नहीं थे।

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