कानपुर, कानपुर के संजीत यादव अपहरण और हत्या मामले नित नए खुलासे हो रहे हैं, हालाकि उनका शव अभी तक नहीं मिला है। संजीत के शव की तलाश में शनिवार को पांडु नदी में दिन भर सर्च ऑपरेशन चलाया गया पर शाम साढ़े सात बजे तक कोई कामयाबी नहीं मिली। अंधेरा होने के कारण ऑपरेशन बंद कर दिया गया।
इसबीच पता चला है कि मामले की जांच के दौरान एक पुलिस इंस्पेक्टर ने संजीत की बहन पर ही किडनैपर्स से मिले होने का आरोप लगाया था। इसका खुलासा तब हुआ जब संजीत के घर पहुंचे एडीजी बीपी जोगदंड ने पुलिस की भूमिका के बारे में पूछा तो संजीत के पिता चमनलाल रोते हुए बताया कि बेटे का पता नहीं लग रहा था तो वह तत्कालीन एसपी साउथ अपर्णा गुप्ता से मिलने गए थे। उन्होंने ऑफिस से दुत्कार कर भगा दिया था। इसके बाद वह वर्रा थाने गए तब थाने में पूर्व इंस्पेक्टर रणजीत राय, सीओ मनोज गुप्ता और चमनलाल बैठे थे। तब इंस्पेक्टर ने उनकी बेटी रुचि पर ही अपहरणकर्ताओं से मिले होने का आरोप लगा दिया था। उसके बाद इंस्पेक्टर ने अपनी डायरी खोली तो उसके पास अपहरणकर्ता का नम्बर था जो कॉल ट्रेसिंग में निकला था।
मामले में संजीत यादव की बहन रुची ने सीबीआई जांच की मांग करते हुए कहा कि पुलिस कम से कम उनके भाई की डेड बॉडी ही ढूंढ दे। ताकि वह अपने भाई की कलाई पर आखिरी बार राखी बांध सके। गौरतलब है कि मामले में हंगामा मचने और पुलिस की छीछालेदन होने के बाद योगी सरकार ने संजीत यादव हत्याकांड में 11 पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की है। इसमें आईपीएस अपर्णा गुप्ता, डीएसपी मनोज कुमार गुप्ता, इंस्पेक्टर रणजीत राय, दो दारोगा राजेश और योगेंद्र प्रताप सिंह सहित छह सिपाही अवधेश, दिशु भारती, विनोद कुमार, सौरभ पांडे, मनीष और शिवप्रसाद को लापरवाही बरतने के आरोप में सस्पेंड कर दिया है।
पांडु नदी में सर्च ऑपरेशन पर नहीं मिला संजीत का शव, पिता रोते हुए बोले इंस्पेक्टर की डायरी में था किडनैपर्स का फोन नंबर
