आगरा मेडिकल कालेज के अस्पताल में भर्ती कराए गए 28 कोरोना मरीजों की भर्ती होने के 48 घंटे के भीतर हुई मौत

आगरा,कोरोना के संक्रमण काल के बीच यूपी के आगरा जिले में एक चौंकाने वाली खबर ने प्रशासन से लेकर शासन तक हड़कंप मचा दिया है। आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज में कोरोना के इलाज के लिए भर्ती हुए 28 कोरोना मरीजों की भर्ती होने के 48 घंटे के भीतर मौत हो गई है। इस बात का खुलासा योगी सरकार की एक ऑडिट रिपोर्ट में हुआ है।
इस रिपोर्ट में मृतकों के परिवार के बयान भी दर्ज किए गए हैं, जिसके बाद सरकार ने इसकी विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं। आगरा प्रदेश में कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित जिला बन चुका है और यहां अब तक कुल 75 मरीजों की मौत हुई है, जो कि यूपी में सबसे अधिक है। यूपी की योगी सरकार की ओर से आगरा में कोरोना नियंत्रण के लिए नोडल अधिकारी बनाए गए पावर सेक्रेटरी एम. देवराज की रिपोर्ट में इन आंकड़ों का खुलासा हुआ है। सरकार के दो सदस्यीय पैनल ने कुल 75 मौतों पर अस्पताल और जिले के अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा है।
अधिकारियों ने स्वास्थ्य विभाग से उन 28 मरीजों की जानकारी मांगी है, जिनकी भर्ती होने के 48 घंटे के भीतर ही मौत हो गई। सरकार ने स्वास्थ्य विभाग से इन मरीजों के भर्ती होने की डिटेल्स, कोरोना के अलावा इन्हें हुई और बीमारियों और इन्हें इलाज के दौरान दी गई दवाओं की डिटेल्स मांगी है। साथ ही मौत के कारणों पर भी डिटेल्ड रिपोर्ट्स और इनका इलाज करने वाले डॉक्टरों का नाम विभाग से मांगा गया है।
बताया जा रहा है कि कोरोना मरीजों की इस ऑडिट रिपोर्ट को शनिवार को किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के सीनियर प्रोफेसर डॉ. राहुल जनक सिन्हा के पैनल के सामने रखा गया था। इस पैनल ने मौत के 28 मामलों की जांच कराने की बात कही थी। आगरा के जिलाधिकारी प्रभु नारायण सिंह का कहना है कि कोरोना के कारण जिले में कुल 28 मरीजों की मौत हुई है, जिसकी जांच कराई जाएगी। इसकी रिपोर्ट को राज्य सरकार को भेजा जाएगा। आंकड़ों की बात करें तो आगरा में 20 दिनों के भीतर कुल 32 कोरोना मरीजों की जान गई है। औसत देखें को हर 48 घंटे में तीन कोरोना मरीजों की जान जा रही है।
आगरा के सीएमओ आरसी पांडेय का कहना है कि जिन मरीजों की मौत हुई है, उनमे से कई ऐसे थे, जिन्हें गंभीर हालत में और देरी से अस्पताल लाया गया। सीएमओ ने कहा कि अस्पताल में चिकित्सक मरीजों की देखभाल के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं। हालांकि गंभीर मरीजों के आने से मौत का आंकड़ा बढ़ा है। स्वास्थ्य विभाग की दलील ये भी है अधिकतम कोरोना मरीजों में से 85 फीसदी मरीज 50 साल से ऊपर की उम्र के थे। इसके अलावा इन्हें डायबिटीज, हृदय रोग और किडनी की समस्या भी थी।

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