राजस्थान में सबसे बड़ी स्टाम्प ड्यूटी चोरी, हाइवे निर्माण से जुड़ी कंपनी को 215 करोड़ चुकाने के आदेश

जयपुर,स्टेट डायरोक्ट्रेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (एसडीआरआई) की जांच के आधार पर न्यायालय ने ओरिएंटल नागपुर बाईपास कंस्ट्रक्शन कंपनी से 215 करोड़ रुपये की वसूली के आदेश जारी किए हैं। एसडीआरआई द्वारा दी गई सूचनाओं के आधार पर राजस्थान में स्टाम्प ड्यूटी चोरी का यह सबसे बड़ा मामला बताया जा रहा है। न्यायालय कलक्टर (मुद्रांक) की ओर दिए गए निर्णय में संबंधित कंपनी को 215 करोड़ रुपये राजस्व खाते में जमा करने के आदेश जारी किये गये हैं। ओरिएंटल नागपुर बाईपास कंस्ट्रक्शन कंपनी मुख्यतया राष्ट्रीय राजमार्ग एवं स्टेट हाईवे के निर्माण और रख-रखाव का कार्य करती है।
स्टेट डायरोक्ट्रेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस की जांच में खुलासा हुआ था की कंपनी की ओर से कन्सोर्टियम/कॉमन लोन एग्रीमेंट पर राजस्थान में नियमानुसार देय स्टाम्प ड्यूटी की चोरी की जा रही है। स्टाम्प ड्यूटी चोरी के लिए फर्म संबंधित बैंक राजस्थान से बाहर दिल्ली और हरियाणा में 100 तथा 500 रुपयों के स्टाम्प पेपर पर कन्सोर्टियम/कॉमन लोन एग्रीमेंट जैसे दस्तावेज भी जारी करती है। कन्सोर्टियम/कॉमन लोन एग्रीमेंट एक द्विपक्षीय दस्तावेज हैं, जो ऋण देने वाली बैंक या बैंकों के समूह और ऋण प्राप्तकर्ता के मध्य ऋण के जोखिम को कम करने के उददेश्य से किया जाता है। इन दस्तावेजों पर राजस्थान स्टाम्प एक्ट, 1998 के अन्तर्गत नियमानुसार स्टाम्प शुल्क देय था। एसडीआरआई की जांच में खुलासा हुआ है कि कम्पनी द्वारा 6 प्रमुख बैंकों/वित्तीय संस्थाओं से वर्ष 2010 में कन्सोर्टियम/कॉमन लोन एग्रीमेंट किया गया। इन संस्थाओं में स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर भी शामिल था। यह एग्रीमेंट नई दिल्ली में 1289 करोड़ रुपयों का किया गया था, लेकिन फर्म मालिकों ने राजस्थान स्टाम्प एक्ट के अधीन स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान नहीं किया। एसडीआरआई की जांच में ये भी खुलासा हुआ है कि ओरियन्टल नागपुर बाईपास कंस्ट्रक्शन प्रा.लि. द्वारा अपनी चल एवं अचल सम्पत्तियों की प्रतिभूति पर विभिन्न बैंकों से संयुक्त रूप से ऋण प्राप्त किया गया है। यह दस्तावेज यद्यपि राजस्थान राज्य से बाहर निष्पादित हुए है, लेकिन कन्सोर्टियम/कॉमन/इंटर क्रेडिटर लोन संयुक्त रूप से लिया गया है। एग्रीमेंट पर राजस्थान राज्य में देय स्टाम्प शुल्क की कमी मुद्रांक/चोरी के संबंध में एसडीआरआई ने मामला उजागर किया। बाद में इस संबंध में प्रकरण दर्ज कर नियमानुसार जांच के लिए पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग, जयपुर को भिजवाया गया था। न्यायालय ने कम्पनी को 64।32 करोड़ रुपये की मुद्रांक राशि तथा उस पर देय ब्याज राशि 75।26 करोड़ रुपये और कम्पनी पर 75।26 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाकर कुल 215 करोड़ रुपए की राशि जमा कराने के आदेश पारित किए हैं।

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