नई दिल्ली, कोरोना संक्रमण की वजह से गांव लौट रहे मजदूरों को मनरेगा से रोजगार मुहैया कराया जाएगा। यह कहना है भारत सरकार के कृषि, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का। मजदूरों के अपने गांव लौटने के बाद ग्रामीण अर्थव्यवस्था और सरकार के समक्ष चुनौतियों से संबंधित सवाल का जबाव देते हुए उन्होंने कहा कि इसके लिए केंद्र सरकार ने मनरेगा बजट में 40 हजार करोड़ रूपए की राशि दी है। जिनके पास कार्ड नहीं है, ऐसे मजदूरों को जॉब कार्ड मुहैया कराने के लिए राज्य की सरकारों को निर्देश भी दे दिये गए है।
इससे पहले बताया कि पहली बार किसी वित्त वर्ष में मनरेगा अंतर्गत 1 लाख करोड़ रूपये से ज्यादा राशि व्यय की जाएगी। क्योंकि कोविड-19 की स्थिति नियंत्रित होने पर गांव लौटे लोग अपने पुराने रोजगार पर भी वापस लौट जाएंगे, लेकिन संभावना है कि, कुछ गांवों में ही रहने का फैसला कर सकते हैं। चूंकि, इनमें से ज्यादातर कुशल मजदूर है, इसलिए सरकर को भरोसा है कि इनसे हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। इसको देखते हुए ही भारत सरकार ने इनके लिए पर्याप्त रोजगार उपलब्ध कराने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। इसके तहत ग्रामीण क्षेत्र में खाद्य प्रस्संकरण, कृषि अधोसंरचना को बढ़ावा देने सहित अन्य कार्ययोजनाओं के माध्यम से रोजगार देने का प्रयास किया जाएगा। एक अन्य सवाल पर उन्होंने कहा कि आवश्यक वस्तु अधिनियम में भी महत्वपूर्ण बदलाव प्रस्तावित है। जब काफी पहले यह एक्ट बना था तब खाद्यान्न उत्पादन बहुत कम था, तब कालाबाजारी सहित दूसरी समस्याएं भी आती थी। अब तो किसान-अन्नदाताओं की मेहनत से भारत अनाज उत्पादन में सरप्लस की स्थिति में है। देश में अन्न का भंडार है, कोई कमी नहीं है, निर्यात भी बढ़ रहा है। इन सकारात्मक बातों को अपनी दृष्टि में सबसे आगे रखते हुए, प्रधानमंत्री यह सुनिश्चित करने के लिए एक योजना लेकर आए हैं, जिससे किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य मिल सके। इसी के तहत अनाज, खाद्य तेल, तिलहन, दालें, प्याज और आलू सहित कृषि खाद्य सामग्री को विनियमित करने का प्रस्ताव है। साथ ही खाद्य प्रसंसकरण, स्टोरेज क्षमता, लॉजिस्टिक्स इत्यादि में निवेश बढेगा।
राज्य लागू करेंगे एपीएमसी एक्ट
कृषि विपणन के लिए केंद्र सरकार ने राज्यों को मॉडल एमपीएमसी एक्ट (कृषि उत्पाद विपणन समिति) लागू करने के निर्देश दिए हैं। कृषि मंत्री ने बताया कि मंडी अधिनियम के अंतर्गत किसानों को अपना उत्पाद केवल मंडी लाइसेंसधारियों को ही बेचने की पात्रता थी, इसके अलावा अधिकतर राज्यों में व्यापारी को प्रत्येक मंडी का अलग से लाइसेंस लेना पड़ता है, जो कि वर्तमान में इज आफ डूइंग बिजनेस की शासन की मंशा के अनुरूप नहीं है, इसलिए यह निर्णय लिया गया है। इसके अलावा, कृषि उत्पादों के अंतरराज्यीय व्यापार को बढ़ावा देने व किसानों के हितों की रक्षा हेतु नया कानून बनाया जा रहा है। इसके पीछे मंशा यह है कि किसानों को उनके उत्पादों की सही लागत मिलें। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में फार्म टू फोक एवं आनलाइन विक्रय को प्रोत्साहित करना जरूरी है। इसके अलावा, एक देश-एक बाजार के सिद्धांत को व्यापक स्तर पर प्रभावशाली बनाना है।