आईस हॉकी में स्वीडन और फिनलैंड के बीच अरसे से रही है प्रतिद्वंदिता

नई दिल्ली,खेल के मैदान में स्वीडन और फिनलैंड के बीच होने वाले किसी भी मुकाबले में वैसी ही प्रतिद्वंदिता रहती है जैसी भारत-पाकिस्तान मैचों में रहती है। कभी एक रहे यह देश अब अलग-अलग हैं। इस कारण जब भी ये दोनो देश खेल के मैदान में आमने-सामने होते हैं एक अलग ही जुनून नजर आता है। दोनो ही टीमें एक दूसरे को हराने पर पूरा जोर लगा देती हैं। यहां तक कि आईस हॉकी का मुकाबला शुन्य से काफी कम तापमान पर होने के बाद भी मैदान में गरमी का सा अहसास होता है। यह दोनो ही टीमें आईस हॉकी की सुपर सिक्स में शामिल हैं जो दोनों की प्रतिद्वंदिता को और ज्यादा कड़ी बना देता है।
दोनों ही देशों में आईस हॉकी के इस मुकाबले को प्रतिष्ठा का प्रश्न माना जाता है। यहां तक कि फिनलैंड में जब कोई भी खिलाड़ी टीम की जर्सी पहनता है उसे सिखाया जाता है कि वह किसी के भी सामने हार माने पर स्वीडन के सामने कभी घुटने नहीं टेकेगा।
इसका कारण दोनो देशों के बीच का इतिहास रहा है। 18वीं सदी में फिनलैंड पर स्वीडन का राज था।
दोनों देशों के बीच आज तक 66 मैच खेले गए हैं जिसमें से स्वीडन ने 30 और फिनलैंड ने 36 मैच जीते हैं। मुकाबला इतना कड़ा होता है कि कोई भी मैच आज तक बराबरी पर नहीं रहा। ओलिंपिक खेलों में दोनों का पांच बार आमना सामना हुआ है जिसमें स्वीडन ने तीन मैच जीते हैं, वहीं फिनलैंड ने दो मैच जीते हैं। वहीं हॉकी विश्व कप में तीन बार दोनों आमने सामने आए हैं और दो बार स्वीडन की जीत हुई है।
फिनलैंड ने पिछले साल विश्व चैंपियनशिप पर कब्जा किया था। 2011 औऱ 1995 के बाद यह तीसरा मौका था। वहीं ओलिंपिक में आज तक उसे केवल रजत पदक ही मिला है। जो उसे 1988 और 2006 में मिला था। वहीं विश्व कप में उन्होंने साल 2004 में खिताब जीता था। स्वीडन की टीम का प्रदर्शन भी शानदार रहा है। उसने साल 2006 में विश्व चैंपियनशिप और ओलिंपिक स्वर्ण पदक जीता था। यह उपलब्धि हासिल करने वाली वह साल में पहली टीम बनी। 2006 ओलिंपिक फाइनल में उसने फिनलैंड को हराया था। ओलिंपिक में स्वीडन ने अब तक नौ पदक जीते हैं। वहीं विश्व कप में उसने दो बाहर कांस्य पदक जीता है। विश्व चैंपियनशिप में उसके पास 11 पदक मौजूद हैं।
1995 से पहले स्वीडन ही अधिकतर खिताब जीता था पर 1995 में फिनलैंड ने पहला खिताब था। इसी को देखकर आज भी खिलाड़ी प्रेरित होते रहे हैं।

फुटबॉल : पुर्तगाल और स्पेन
स्पेन और पुर्तगाल फुटबॉल जगत की दो सबसे पुरानी प्रतिद्वंदी रहीं हैं। इसके पीछे दोनों का राजनीतिक इतिहास जिम्मेदार रहा जिस कारण ये हमेशा ही एक -दूसरे के खिलाफ जीत चाहती हैं। पहले इनके होने वाली जंग की जगह अब फुटबॉल के मैदान ने ले ली है। आज भी दोनो ही देश के प्रशंसक अपनी टीमों को हारता हुआ नहीं देखना चाहते। दोनों टीमों के बीच पहला मुकाबला दोस्ताना मुकाबला था जो 18 दिसंबर 1921 में खेला गया था। मैड्रिड में खेले गए इस मैच में स्पेन ने पुर्तगाल को 3-1 से हराया था। इसके बाद 1926 में दोनों का मुकाबला 2-2 से बराबरी पर रहा। पुर्तगाल को पहली जीत 1947 में मिली जब वह 4-1 से जीत हासिल करने में सफल रहा। तभी से अभी तक 36 बार दोनों एक-दूसरे के सामने आये हैं। इसमें से स्पेन को 18 जबकि पुर्तगाल को केवल छह बार जीत मिली है।
आज तक दोनों के बीच मुकाबलों के रिकॉर्ड को देखकर स्पेन का पलड़ा भारी दिखता है। अब तक खेले गए 36 मैचों में पुर्तगाल ने छह जबकि स्पेन ने 18 मुकाबले जीते हैं। इनमें से 14 मैच ड्रॉ रहे। दोनों टीमें आज तब फीफा विश्व कप में छह बार आमने-सामने आई हैं जिसमें चार बार स्पेन जीता हैं, वहीं दो मुकाबले ड्रॉ रहे हैं। पुर्तगाल एक बार भी जीत हासिल नहीं कर पाया है। वहीं यूएफा यूरोपियन चैंपियनशिप में दोनों के बीच तीन मैच खेले गए हैं जिसमें पुर्तगाल ने एक मैच जीता है वहीं एक मैच ड्रॉ रहा है.
दोस्ताना मैचों की बात करें तो 27 मैचों में पुर्तगाल ने पांच और स्पेन ने 12 मुकाबले जीते हैं, इसके अलावा 10 मैच ड्रॉ रहे। स्पेन ने 2010 में फीफा विश्व कप का खिताब जीता। वहीं पुर्तगाल अब तक ऐसा करने में नाकाम रहा है। यूईएफा चैंपियनशिप में स्पेन 1964,2008 औऱ 2012 में चैंपियन रहा है वहीं पुर्तगाल केवल 2016 में चैंपियन रहा। ओलिंपिक खेलों में भी स्पेन आगे है जिसने 1920 में रजत पदक हासिल किया वहीं पुर्तगाल अब तक कोई पदक नहीं जीत पाया है।

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