सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी-हम सिर्फ सुझाव दे सकते हैं, सरकार के ऊपर सुपर सरकार क्यों होनी चाहिए

नई दिल्ली, सरकार के हर फैसले के खिलाफ अदालत का रुख कर लेने के ट्रेंड पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि कोरोना महामारी की वास्तविक स्थिति से सरकार बेहतर तरीके से अवगत है और अपना काम कर रही है, ऐसे में सरकार के ऊपर सरकार यानी ‘सुपर सरकार क्यों होनी चाहिए। शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी उस याचिका पर सुनवाई के दौरान की, जिसमें कोरोना महामारी से लड़ रहे पुलिसकर्मियों के वेतन में कटौती को चुनौती दी गई थी। जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस वीआर गवई की पीठ ने याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए याचिकाकर्ता को सरकार के पास ही जाने का निर्देश दिया। यह याचिका पूर्व आईपीएस अधिकारी भानुप्रताप बरगे ने दायर की थी।
अतिरिक्त भत्ता देने की मांग
याचिका में यह भी कहा गया था कि अपनी जान जोखिम में लगाकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे पुलिसकर्मियों को इस काम के लिए अतिरिक्त भत्ता दिया जाना चाहिए। लेकिन पीठ ने कहा कि अनुच्छेद-32 के तहत नीतिगत फैसले से संबंधित होने के चलते ऐसी याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता। बरगे की ओर से पेश वरिष्ठ वकील देवदत कामत ने पीठ से कहा कि एक समान नीति होने के बावजूद कई राज्य पुलिस अधिकारियों का वेतन काट रहे हैं। इस पर पीठ ने कहा कि यह नीतिगत मामला है। पीठ ने कहा कि यह सरकार पर निर्भर है कि वह इस पर विचार करे या न करे। पीठ के सदस्य जस्टिस कौल ने सवाल पूछा, क्या अनुच्छेद-32 के तहत ऐसी याचिका दायर की जा सकती है।
सभी लोग कोरोना विशेषज्ञ बन गए
समस्या इस बात की है कि सभी लोग कोरोना मामले में विशेषज्ञ बन गए है। कोरोना समस्या को छोड़ अन्य याचिकाएं नहीं आ रही हैं। जस्टिस कौल ने यह भी कहा कि सभी लोग कठिन वक्त से गुजर रहे हैं। सरकार स्थिति से अच्छी तरह अवगत है। बेहतर होगा कि सरकार को अपना काम करने दिया जाए। सरकार के ऊपर कोई सरकार नहीं होनी चाहिए। जस्टिस कौल ने कहा, लोगों के पास कोई काम नहीं है तो वह ऐसी याचिका दायर कर काम को ईजाद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की याचिका देखकर हमें दुख होता है। इसके बाद याचिका को खारिज कर दिया गया।
हम सरकार को सुझाव ही दे सकते हैं
सुनवाई के दौरान पीठ ने कामत से यह भी जानना चाहा कि किन राज्यों में पुलिसकर्मियों के वेतन में कटौती की गई है। कामत ने बताया कि राजस्थान, ओडिशा और तेलंगाना में ऐसा किया जा रहा है। जस्टिस कौल ने पूछा, क्या हम राज्यों को कोई निर्देश दे सकते हैं? अधिक से अधिक केंद्र सरकार को इस पर गौर करने के लिए कहा जा सकता है और वह भी सुझाव के तौर पर। इसके बाद कामत ने कहा कि 55 वर्ष से अधिक पुलिसकर्मियों को भी ड्यूटी करने के लिए बुलाया जा रहा है, जबकि उनमें कोरोना के संक्रमण का खतरा अधिक है। इस पर पीठ ने एक बार फिर यह सवाल किया कि क्या अनुच्छेद-32 के तहत दाखिल याचिका में इन बातों पर गौर किया जा सकता है?

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