भोपाल, जानलेवा कोरोना वायरस के कारण प्रदेश भर में जारी लॉकडाउन के बीच कूनो अभयारण्य में बीते दिनों एक तेंदुए का शिकार हो गया। अब तक शिकारी खरगोश, नीलगाय, हिरण, चिंकारा जैसे वन्यप्राणियों का शिकार कर रहे थे लेकिन, अब तेंदुए को ही मार डाला है। लाकडाउन के दौरान भी शिकारियों की घुसपैठ और आतंक बढ़ता जा रहा है। तेंदुए के शिकार की खबर संबंधित बीट के नाकेदार से लेकर रेंजर तक को है लेकिन इन्होंने कोई कार्रवाई करने की बजाय मामले को रफादफा करने के लिए शव को पत्थरों में दफन करवा दिया। अब इन्हीं पत्थरों से तेंदुए का कंकाल साफ नजर आ रहा है। कूनो सेंक्चुरी (अभयारण्य) के एक अफसर ने बताया कि कुछ समय पहले आमेठ बीट में तेंदुए का शिकार हुआ था। इसकी सूचना अभयारण्य के क्षेत्रीय अमले को मिली थी और सूचना के बाद रेंजर मनीषा कौरव, डिप्टी रेंजर छुट्टन लाल जाटव, नाकेदार सनत गौतम व रेंज कार्यालय का बाबू विष्णु शर्मा मौके पर पहुंचे। सभी कर्मचारियों ने तेंदुए के शव हो मोरावन पश्चिम रेंज, आमेठ बीट के चंदनकुण्डा जंगल में भड़सेरा पहाड़ के पास पत्थरों के नींचे दबा दिया गया। सूत्रों की मानें तो रेंजर व डिप्टी रेंजर ने तेंदुए के शव को दफन करने के लिए गड्ढा खुदवाना चाहा लेकिन, यह पूरा क्षेत्र पहाड़ी है जहां गड्ढा खुदना आसान नहीं है। ऐसे में तेंदुए के शव को पत्थरों से दबाकर पूरे मामले को रफा-दफा कर दिया। वन्य प्राणियों के महत्व के हिसाब से देखा जाए तो शेर व टाइगर के बाद तेंदुए का महत्व दूसरे नंबर पर है। तेंदुए की असमय मौत या शिकार होने पर वन विभाग या संबंधित सेंक्चुरी प्रशासन को पूरा रिकॉर्ड तैयार करना होता है। उसके शव का पोस्टमार्टम कराया जाता है। संबंधित जिले के डीफओ या सेंक्चुरी डीएफओ को भी शेर या तेंदुए के अंतिम संस्कार (जलाकर) का अधिकार सामान्यतः नहीं रहता इसके लिए संभाग स्तर के अफसर यानी सीसीएफ का मौके पर होना जरूरी है। ऐसे में यह घटना सेंक्चुरी में गुजरात के गिर अभयारण्य से बब्बर शेरों की शिफ्टिंग में बाधा बन सकती है। इस बारे में कूनो सेंचुरी के एसडीओ विनोद शर्मा का कहना है कि मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। आप जिस स्थान पर तेंदुए का शव दबाने के बारे में बता रहे है, वहां जाकर दिखवाते हैं तभी इस बारे में कुछ कह पाऊंगा। अगर ऐसा हुआ है तो मामला बेहद गंभीर है, ऐसा करने वाले सभी अधिकारी-कर्मचारी सख्त कार्रवाई के पात्र हैं।