बढ़ते प्रदूषण से नाला बनती जा रही है जीवनदायिनी गोमती

लखनऊ,पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट ‘गोमती रिवर फ्रंट’ योगी सरकार की उदासीनता का शिकार हो गया है। देश का सबसे शानदार रिवर फ्रंट राज्य में सत्ता बदलने के साथ ही बदहाली का शिकार हो गया है। इस बीच भले ही गोमती में गिरने वाले कई नालों को बंद कर दिया गया हो, लेकिन सच यही है कि गोमती नदी में गंदगी बढ़ रही है। जिसकी वजह से लखनऊ शहर की जीवनदायिनी गोमती नदी नाले में तब्दील होती जा रही है।
गोमती नदी के ज्यादातर हिस्से में जलकुंभी का विस्तार हो गया है। साथ ही दिन-ब-दिन इसमें गंदगी का स्तर बढ़ता जा रहा है। गोमती रिवर फ्रंट के एक किलोमीटर के मुख्य भाग पर घूमने वालों की भीड़ अब भी जुटती है, लेकिन करीब सात किलोमीटर का रिवरफ्रंट पूरी तरीके से बदहाली का शिकार है। यहां लगाए गए ज्यादातर पौधे सूख चुके हैं, विदेशों से मंगाई गई घास भी सूख गई है, मोटर बोट चलना बंद हो गए हैं, नदी को साफ करने के लिए लगाई गई मशीनें भी बंद हैं। नाव के जरिए होने वाली सफाई भी इन दिनों बंद पड़ी है। बताया जा रहा है कि गोमती रिवरफ्रंट से जुड़े हुए ज्यादातर अधिकारी प्रोजेक्ट छोड़कर जा चुके हैं। नये लोग जांच के डर से उदासीन बन गए है।
गोमती नदी में कुल 37 नाले गिरते हैं। इनमें से आठ नाले ऐसे हैं, जो शहर के बाहर गोमती में गिरते हैं। कुछ समय पहले तक कुल 29 नाले गिर गिरते थे। योगी सरकार ने 9 नालों को समानांतर चैनल से जोड़ दिया है, जिससे अब 20 छोटे-बड़े नाले इस रिवर फ्रंट में गिर रहे हैं। गोमती रिवरफ्रंट में गिरने वाले दो बड़े नालों कुकरैल और हैदर कनाल की दिशा बदली जा चुकी है। नार्थ ईस्टर्न रेलवे ब्रिज से पार होकर आने वाले नाले को अब तक चैनल से नहीं जोड़ा जा सका है। ट्रांस गोमती में अब भी 6 बड़े नाले गिर रहे हैं। जिससे गोमती में प्रदूषण का स्तर कम नहीं हुआ है। योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद ही गोमती रिवर फ्रंट पर अफसरों की पंचायत लगाई थी। योगी ने रिवर फ्रंट का काम तीन महीने में पूरा करने के अलावा नालों को गोमती में गिरने से रोकने का आदेश दिया था।

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