भोपाल, मध्य प्रदेश के टोल प्लाजा की कमाई पर लॉक डाउन में लॉक लग गया है। नाकों पर सन्नाटा है और स्टाफ घर पर आराम फरमा रहा है। दिनभर में इक्का-दुक्का गाडिय़ां यहां के सन्नाटे को तोड़ती हैं। मध्य प्रदेश के टोल प्लाजा पर कोरोना की सबसे ज्यादा मार पड़ी है। लॉकडाउन होने के कारण टोल प्लाजा एजेंसी और प्रशासन भारी नुकसान में हैं।
अगर केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार आकलन करें तो पिछले 25 दिन में देश को करीब 16500000000 रूपए की चपत लगी है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) के अनुसार देशभर के टोल प्लाजा से प्रतिदिन औसतन कमाई 66 करोड़ रुपए की आय होती है।
-प्रदेश में 250 टोल प्लाजा
मध्यप्रदेश में नेशनल स्टेट हाईवे पर करीब 250 टोल प्लाजा हैं। इन पर लॉक डाउन से पहले रौनक रहती थी। गाडिय़ों की आवाजाही लगातार होती रहती थी। वहां पर वाहनों की लंबी-लंबी कतारें लगी रहती थीं। लेकिन लॉक डाउन होते सभी टोल प्लाजा फ्री कर दिए गए। ना अब गाडिय़ों की आवाजाही है और न ही टैक्स वसूली। यहां बने कैबिन पर ताले लगे हुए हैं और स्टाफ घर पर है। टोल प्लाजा पर सन्नाटा है। कुल मिलाकर पूरे टोल प्लाजा पर बंद का माहौल है। यहां इन दिनों सिर्फ अति आवश्यक सामान ले जाने वाली गाडिय़ां ही गुजर रही हैं। सड़कें सूनी हैं और टोल प्लाजा वीरान पड़े हैं।
-टोल प्लाजा एजेंसी और शासन को नुकसान
शासन प्रशासन टोल प्लाजा चलाने की जिम्मेदारी एजेंसी को देता है। मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम इसकी मॉनिटरिंग करता है। साथ ही निगम ही टोल टैक्स की कीमत तय करता है। तमाम नियम प्रावधानों के तहत ही टोल प्लाजा एजेंसी काम करती है। लॉक डाउन की वजह से टोल प्लाजा टैक्स फ्री हैं और इसका सीधा असर टोल प्लाजा चलाने वाली एजेंसियों पर पड़ रहा है। उसे और सरकार दोनों को करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है।