पटना,बिहार सरकार ने लॉकडाउन के दौरान पहले से आर्थिक मार झेल रहे अभिभावकों को शिक्षा विभाग ने राहत दी है। सरकार ने बच्चों की मार्च-अप्रैल की फीस माफ करने के आदेश दिए हैं। दरअसल ,राजधानी पटना छोड़कर राज्य के 70 प्रतिशत स्कूल फिलहाल ऑनलाइन क्लास नहीं ले रहे हैं, क्योंकि उनके पास समुचित संसाधन नहीं है जो एक साथ 30 बच्चों को वो ऑनलाइन के माध्यम से कनेक्ट कर शिक्षा दे सकें। सरकार का साफ आदेश है कि जो स्कूल ऑनलाइन क्लासेस नहीं चलाएंगे उन्हें मार्च और अप्रैल की मासिक फीस और ट्रांसपोर्टेशन चार्ज किसी भी हालत में नहीं लेनी है। अगर कोई स्कूल फीस लेने के लिए दबाव बनाता है तो अभिभावक सीधा शिकायत दर्ज करा सकते हैं और शिक्षा विभाग के अधिकारी जांच कर स्कूल पर कार्रवाई करेंगे।
प्राथमिक शिक्षा निदेशक डॉ रणजीत कुमार सिंह ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान लगातार अभिभावकों की ओर से मिल रही शिकायतों के बाद सरकार को यह फैसला लेना पड़ा है। अब इस नियम की अवहेलना करने वाले स्कूलों को सरकार आरटीई के तहत 25 गरीब बच्चों के नामांकन के एवज में भुगतान की राशि पर भी रोक लगाएगी। सरकार के इस फैसले के बाद पैरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संजीव पाठक ने भी फैसले का स्वागत किया है, लेकिन यह भी कहा है कि सरकार सिर्फ आदेश देकर चुप नहीं बैठे, इसको अमलीजामा पहनाने की भी जरूरत है क्योंकि इससे पहले भी आरटीई के तहत सरकार ने सभी निजी स्कूलों से अधिकतम 7 प्रतिशत तक वार्षिक फीस वृद्धि करने का आदेश निर्गत किया था। इसके बावजूद राजधानी के कई बड़े स्कूलों ने आदेश के विपरीत 15 से 25 प्रतिशत तक कि फीस बढ़ोतरी कर दी। हालाकि शिक्षा विभाग ने शिकायत मिलने पर जांच टीम गठित की और आरडीडीई ने राजधानी के 15 स्कूलों को नोटिस जारी कर दिया है और अब दोषी स्कूलों से शो कॉज के जवाब के बाद 1 लाख रुपये तक आर्थिक जुर्माना वसूलने की तैयारी चल रही है।