जबलपुर, कोरोना महामारी के संकट को दूर करने राज्य में चिकित्सकों की कमी को देखते हुए उन चिकित्सा छात्रों को अचानक बुला लिया गया जिनकी इंटर्नशिप ३१ मार्च 2020 को पूरी हो चुकी है। डीन का आदेश पाते है किसी तरह गत दिवस इंदौर से शहर पहुंचे 14 चिकित्सकों को यहां पहुंचने पर क्वारेंटीन में रख दिया गया। आलम ये हैं कि नियुक्ति और अन्य विषयों पर चर्चा के लिए डीन द्वारा उन्हें दो टूक कह दिया गया है कि वे इस विषय में 14 दिन बाद ही चर्चा करेंगे।
अन्य राज्यों की तर्ज पर दी जानी थी नियुक्ति
बताते हैं कि चिकित्सक जो डिग्री के साथ इंटर्नशिप भी पूर्ण कर चुके हैं उन्हें पीएचसी, सीएचसी और जिला अस्पतालों में संविदा द्वारा अस्थाई नौकरी 3 माह की दी जानी थी। जैसा कि देश के अन्य राज्यों में हुआ है लेकिन मध्यप्रदेश के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज, जबलपुर में सिर्फ जबलपुर जिले में पोस्टिंग दी गई एवं जो लोग अन्य जगह पर लॉक डाउन के चलते फंस गए थे उनको पोस्टिंग अभी तक नहीं दी गई है। देश के अन्य राज्यों में चिकित्सकों को उनके गृह जिलों में ही पोस्टिंग दे दी गई लेकिन इस संबंध में न तो प्रबंधन की ओर से कोई सहमति दी जा रही है न हीं कोई आश्वासन दिया जा रहा है, जिसके चलते नौकरी के साथ ही सेवा भाव से शहर पहुंचने वाले चिकित्सक क्वारेंटीन होने के बाद खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।
जारी किया गया था आदेश
डीन मेडिकल कॉलेज द्वारा जारी आदेश में कहा गया कि आयुक्त चिकित्सा शिक्षा मप्र के 1 अप्रैल 2020 को जारी पत्र में दिए गए निर्देशानुसार एवं कमिश्नर जबलपुर संभाग अध्यक्ष कार्यकारिणी समिति के अनुमोदन पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस छात्र जिनकी इंटर्नशिप 31 मार्च 2020 को समाप्त हो चुकी है उन समस्त इंटर्न छात्रों को कोविड 19 महामारी को दृष्टिगत रखते हुए आगामी ३ माह के लिए मप्र आयुर्विज्ञान परिषद भोपाल के 7 अप्रैल को जारी पत्र में दिए गए नियम एवं शर्तों के अंतर्गत इस महाविद्यालय के अंतर्गत चिकित्सालय में चिकित्सा अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जाता है। चिकित्सा अधिकारियों को आदेशित किया गया है कि वे ७ दिन के अंतर्गत डॉ. संजय भारती, सह प्राध्यापक, स्कूल ऑफ एक्सीलेंसी इन पल्मोनरी मेडिसिन/नोडल अधिकारी कोविड-19 को अपनी उपस्थिति दें।