लोकायुक्त पुलिस की कार्रवाई की भनक लगते ही प्रधान आरक्षक फरार

अनूपपुर,चेक बाउंस की शिकायत को रफा दफा करने और एफआईआर दर्ज नहीं करने के एवज में शिकायतकर्ता राजेन्द्र साहू से 60 हजार रूपए की मांग तथा राजेन्द्र साहू द्वारा लोकायुक्त में किए गए शिकायत पर शनिवार 14 मार्च की रात रीवा लोकायुक्त की टीम ने रामनगर में छापामार कार्रवाई की। जिसमें दैनिक भोगी कर्मचारी धीरेन्द्र सिंह पटेल को रंगो हाथ लोकायुक्त की टीम ने पकड़ा। जबकि मामले में लोकायुक्त की कार्रवाई की भनक को पाते हुए रामनगर थाना में पदस्थ प्रधान आरक्षक रामप्रसाद प्रजापति फरार हो गया।
लोकायुक्त की टीम ने शाम को यह कार्रवाई की है। बताया जाता है कि शिकायतकर्ता 36 वर्षीय राजेंद्र साहू पिता मूलचंद साहू निवासी न्यू राजनगर कॉलरी थाना रामनगर ने लोकायुक्त में शिकायत की थी। जिसमें तीन लोगों के नाम नामजद कराया था। इनमें राम प्रसाद प्रजापति प्रधान आरक्षक थाना रामनगर, कमल देव मंडल हेड कैशियर सेंट्रल बैंक न्यू राजनगर, धीरेंद्र कुमार पटेल पिता गोरख पटेल दैनिक भोगी कर्मचारी सेंट्रल बैंक न्यू राजनगर निवासी खपड़ा दफाई न्यू राजनगर थाना रामनगर शामिल थे। प्रधान आरक्षक राम प्रसाद प्रजापति ने शिकायतकर्ता राजेंद्र साहू से चेक बाउंस की शिकायत को रफा-दफा कर एफ आई आर दर्ज न करने के एवज में 60 रुपए रिश्वत की मांग की थी।
जिसे 14 मार्च की दोपहर आरोपी प्रधान आरक्षक राम प्रसाद प्रजापति को रिश्वती रुपए कमल देव मंडल हेड कैशियर के माध्यम से धीरेंद्र सिंह पटेल को भेजकर मंगवाए थे। जिसे रंगे हाथ पकड़ा गया है। आरोपी धीरेंद्र सिंह द्वारा आरोपी प्रधान आरक्षक राम प्रसाद प्रजापति एवं कमल देव मंडल के कहने पर रुपए लिए जाने की बात स्वीकारी है। आरोपीगणों के विरुद्ध धारा 7 (क) भ्रष्टाचार निवारण (संसोधन)अधिनियम 2018 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया है। यह कार्रवाई लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र वर्मा रीवा के निर्देश पर उप पुलिस अधीक्षक बीके पटेल के नेतृत्व में किया गया। जिसमें निरीक्षक प्रमेन्द्र सिंह, अनूप सिंह ठाकुर, एवं 18 सदस्यीय टीम शामिल रही। बताया जाता है कि लोकायुक्त ने यह कार्रवाई शाम 8 बजे से आरम्भ हुई जो देर रात 1 बजे तक चली, जिसमें प्रधान आरक्षक का कोई सुराग नहीं मिल सका। यह पूरा प्रकरण 9.95 लाख के बैंक से दिसम्बर माह के दौरान लिए गए लोन मामले से जुड़ा है। जिसमें आवेदक ने कैशियर द्वारा लोन में पैसे की मांग की शिकायत थाने में दर्ज कराई थी। जिसमें विवेचक के रूप में प्रधान आरक्षक ने समझौता कराने के एवज में पैसे की मांग की थी, जिसमें कैशियर और प्रधान आरक्षक की मिली भगत रही।

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