झाबुआ, पश्चिमी मध्य प्रदेश के आदिवासी अंचलो सहित सीमावर्ती राजस्थान एवं गुजरात के अंचलो में आदिवासी समाज द्वारा मनाया जाने वाला भगोरिया पर्व इस वर्ष 3 से 9 मार्च तक मनाया जाएगा। ईन जिलो के आदिवासी अंचलो में जिस वार को साप्ताहीक हाट भरता है, होली के पूर्व आने वाला यही हाट भगोरिया हाट के नाम से जाना जाता है। पूर्व काल में इसे प्रेम पर्व का नाम दिया जाता रहा एवं भगोरिया को इसी रूप में पहचान भी मिली। पुरानी मान्यता अनुसार अपनी पसंद की युवक युवतीयो द्वारा आपसी सहमती से एक दुसरे को पान खिलाकर गुलाल लगाना और भाग जाना, बाद में उनके घरवालो द्वारा समाज की विधी द्वारा विवाह किया जाना था और चुंकी इन हाट बाजारो में गुलाल लगाकर सहमती व्यक्त किए जाने से इसे गुलालीया हाट भी कहा जाता है तथा भागने को भगोरिया नाम दिया गया लगता है। किन्तु वर्तमान काल के युवक युवतीया इसे ठीक नही मानते। उनके अनुसार यह पर्व उत्साह, उमंग और मस्ती के रंग में रंग जाने का त्यौहार है। कुछ आदिवासी संगठन भी इसे प्रेम पर्व कहने को ठीक नहीं मानते। उनके अनुसार यह केवल मस्ती का त्यौहार है।
मध्य प्रदेश शासन द्वारा व्यापक स्तर पर भगोरिया की ब्राण्डींग किए जाने की योजना की भी जानकारी मिली थी। इस बात को पर्यटन मंत्री सुरेन्द्रसिंह बघेल ने कहा भी था। किन्तु इस बार शासन की यह योजना अमल होती हुई नहीं लगती है।
यह पर्व झाबुआ अलीराजपुर जिले में 3 मार्च से आरंभ होकर 9 मार्च तक निम्न स्थानो पर रहेगा। 3 मार्च थंादला, पिटोल, खरडु, आम्बुआ और बखतगढ़, 4 मार्च कल्याणपुरा, मदरानी, माछलीया, चादपुर, खट्टाली, बोरी, बरझर और ढेकल, 5 मार्च हरिनगर, पारा, समोई, सोण्डवा, जोबट, चैनपुरा, 6 मार्च भगोर, कालीदेवी, माण्डली, वालपुर, कटठीवाड़ा और उदयगढ़, 7 मार्च राणापुर, झकनावदा, मेघनगर, बामनीया, नानपुर और उमराली, 8 ढोल्यावाड़, काकनवानी, झाबुआ, रायपुरीया, छकतला, कुलवट, आमखुट, सौरवा और झिरण, 9 मार्च कुन्दनपुर, रम्भापुर, पेटलावद, आलीराजपुर, भाबरा और बड़ा गुड़ा।