भोपाल, केंद्र में पर्यावरण मंत्री रहते हुए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अरावली पर्वतमाला का वजूद बचाने के लिए ठोस प्रयास किए थे। भोपाल में जल का अधिकार सम्मेलन के लिए पधारे जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने एक विशेष चर्चा में बताया कि वे 1988 से अरावली में अवैध उत्खनन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई ला रहे थे जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट ने अरावली को इकोलॉजीकल जोन घोषित करते हुए इसमें अवैध खनन पर रोक लगा दी थी। सिंह ने बताया कि उस समय डोलामाईट और मार्बल की 478 खदान बंद हो गई। इस फैसले के बाद राजेंद्र सिंह ने तत्कालीन पर्यावरण मंत्री कमलनाथ से मुलाकात करके उनसे सुप्रीम कोर्ट का फैसला लागू करवाने की अपील की। कमलनाथ ने तवारीर कार्यवाही करते हुए दो माह के भीतर नोटिफिकेशन जारी किया। जिसे 7 मई 1992 के नोटिफिकेशन के नाम से जाना जाता है। इस नोटिफिकेशन के बाद चार प्रदेशों दिल्ली, राजस्थान, गुजरात और हरियाणा में अरावली में अवैध खनन बंद हो गया। यही नहीं कमलनाथ के पर्यावरण मंत्री रहते 6 विविध टाइटल की जमीन को वन जमीन अथवा फॉरेस्ट लैंड घोषित किया गया जिसके चलते रेवेन्यू की जमीन फॉरेस्ट लैंड में परिवर्तित हुई और पर्यावरण बचाने में सहयोग मिला। इससे पहले तेलंगाना जैसे राज्यों में तो पहाड़ियों को भी पट्टे बनाकर बेच दिया गया था। राजेंद्र सिंह का कहना है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ के जल के अधिकार के लिए उठाए गए कदम से वह बहुत प्रभावित हैं और उम्मीद करते हैं कि इसे सही दिशा में लागू किया जाएगा।
जब पर्यावरण मंत्री रहते कमलनाथ के प्रयास से बचा अरावली का वजूद
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