गांव में मकान और दुकान बना कर रहने पर भी देना होगा कर

भोपाल, प्रदेश के गांवों में रहकर कारोबार करने वाले लोगों के लिए बुरी खबर है। अब गांव में रहने वाले लोगों को न केवल व्यवसाय पर , बल्कि मकानों के लिए भी कर चुकाना होगा। दरअसल, अभी तक गांव में रहने, मकान बनाने और कोई आयोजन करने पर कोई कर नहीं देना होता है , लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने जिला, जनपद और ग्राम पंचायतों के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में भी भवनों और व्यावसायिक गतिविधियों पर कर वसूलना तय किया है। जिसके चलते अब गांव में मकान बनाने, शोरूम खोलने, मेला लगाने या कोई सम्मेलन करने पर भी कर चुकाना होगा। इसमें सबसे पहले पुराना बकाया का हिसाब किया जाएगा औक्र उसकी वूसली की जाएगी। इसके लिए तीन महीने की समयसीमा तय कर दी गई है। इसके बाद नए वित्तीय सत्र के लिए नए सिरे से काम शुरू होगा।
यह है असल वजह-
दरअसल, त्रिस्तरीय पंचायती राज सिस्टम में तीन प्रकार के टैक्स रखे गए हैं। इसमें अनिवार्य, स्वैच्छिक और वैकल्पिक की व्यवस्था है। लेकिन, बीते दो दशकों के आंकलन में पता चला है कि पंचायतों में अनिवार्य टैक्स तक वसूल नहीं किया गया है। 85 फीसदी से ज्यादा पंचायतों ने भवनों पर भी कर नहीं वसूला है। न वसूली के कोई प्रयास हुए और न वसूली संबंधित कोई रिकार्ड या व्यवस्था बनाई गई। इसलिए अब पंचायती राज सिस्टम के अनिवार्य टैक्स वाले पुराने नियम को पूरी सख्ती से लागू करना तय किया गया है।
पंचायतों की आय में होगी वृद्वि
सरकार के इस फैसले से पंचायतों का दबदवा बढ़ेगा। इसके तहत हर पंचायत को मौजूदा जमीन, उस पर निर्माण और उससे होने वाले राजस्व का रिकार्ड पेश करना होगा और यह भी बताना होगा कि कहां किस प्रकार से राजस्व वृद्वि की जा सकती है। इसमें पंचायतों के भवनों से लेकर जमीन तक के जरिए राजस्व बढ़ाने के उपाय बताने होंगे। इसमें बिल्डिंग परमिशन के लिए अगले वित्तीय क्षेत्र में नए नियम भी तय किए जाएंगे। इसके बाद तय किए गए लक्ष्य के हिसाब से ही पंचायतों को वसूली करना होगी। उनकी परफार्मेंस रैंकिंग भी इसी आधार पर होगी।
अरबों की हो सकती है आय
ग्रामीण क्षेत्र में अनिवार्य टैक्स वसूली वाले क्लॉज से अरबों का राजस्व सरकार को मिल सकता था, लेकिन दस से पंद्रह प्रतिशत पंचायतों में ही बिल्डिंग टैक्स सहित अन्य टैक्स वसूली के प्रयास ही नहीं हुए। शहरों में तो प्रॉपटी टैक्स सख्ती से वसूला गया, लेकिन गांवों में इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। इस कारण अब ग्रामीण क्षेत्र में कोई भी भवन बनाने या कारोबार करने पर टैक्स लिया जाएगा। इसमें गांव-मंदिर में होने वाले सम्मेलन-मेले या इस प्रकार के अन्य आयोजन भी आएंगे। बिना टैक्स दिए पशु मेले सहित कोई अन्य मेला नहीं लगाया जा सकेगा।
वसूली के यह हालात
2016-17 में 7.40 करोड़ और 2017-18 में महज 14 करोड़ रुपए की वसूली की गई थी। बाकी जगह कोई राजस्व नहीं प्राप्त किया गया। इस पर सख्त नाराजगी। अनेक जिला, जनपद और ग्राम पंचायतों ने बरसों से कोई राजस्व नहीं प्राप्त किया। दो महीने पहले 23 हजार से ज्यादा ग्राम पंचायतों में से महज 200 पंचायतें ही टैक्स वसूली के लिए काम कर रही थी, जो अब बढ़कर 850 हो गई हैं। इनमें भी टैक्स वसूली बेहद पिछड़ी हुई है और न कोई रिकार्ड है। अब सभी पंचायतों को वसूली रिकार्ड भी तैयार करना होगा।
यह किया गया फैसला
– पंचायत की हर जमीन का रिकार्ड और उस पर निर्माण का पूरा रिकार्ड तैयार होगा।
– हर पंचायत में राजस्व वृद्धि की कार्ययोजना बनेगी। राजस्व का रिकार्ड बनेगा।
– दस साल में कितनी वसूली होनी थी इसका आकलन होगा। रिकवरी की जाएगी।
– हर नए व्यावसायिक प्रतिष्ठान से पहले टैक्स वसूली होगी। पुराने का भी आकलन।
फैक्ट फाइल-
23922 ग्राम पंचायतें मध्यप्रदेश में
313 जनपद पंचायतें मध्यप्रदेश में
52 जिला पंचायतें मध्यप्रदेश में
200 पंचायत ही कर रही थी वसूली का काम

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *