व्यापमं के आरोपियों के रिश्तेदारों को बनाया पीएससी परीक्षा का पर्यवेक्षक

भोपाल,व्यावसायिक परीक्षा मंडल व्यापमं घोटाले के दो आरोपियों के रिश्तेदार आईएएस अफसरों को मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपी पीएससी) की राज्य सेवा परीक्षा का पर्यवेक्षक बना दिया गया। मामले के तूल पकडऩे के बाद अब इन दोनों को हटाना पड़ा है। इस मामले में यह कदम तब उठाया गया जब कांग्रेस नेता, पूर्व निर्दलीय विधायक व व्यापमं घोटाले के व्हिसल ब्लोअर पारस सकलेचा ने कड़ा ऐतराज जताते हुए पूरे मामले की शिकायत पत्र लिखकर मुख्यमंत्री कमल नाथ और सामान्य प्रशासन मंत्री डा. गोविंद सिंह से की।
पीएससी ने दो दिन पहले राज्य सेवा और वन सेवा परीक्षा की निगरानी करने के लिए पर्यवेक्षक नियुत किए थे। पर्यवेक्षकों की सूची में कैसी जैन और अशोक कुमार शिवहरे का भी नाम है। जैन को उज्जैन और शिवहरे को ग्वालियर संभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जैन का बेटा और शिवहरे के भाई व्यापमं घोटाले में नामजद आरोपी हैं। सरकार के इस फैसले का विरोध करते हुए सकलेचा ने लिखा है कि पीएससी की परीक्षाओं में आईएएस और आईपीएस अफसरों को पर्यवेक्षक नियुक्त करने का प्रयोग अब बंद किया जाना चाहिए। यह प्रयोग सिर्फ आईएएस और आईपीएस अफसरों को उपकृत करने तक सीमित हैं। उन्होंने व्यापमं का हवाला देते हुए लिखा कि व्यापमं ने जितनी भी परीक्षाएं आयोजित की थी, सभी में आईएएस और आईपीएस अफसरों को पर्यवेक्षक बनाया गया था। परिणाम यह था कि इतना बड़ा घोटाला होता रहा और उन्हें पता तक नहीं चला। उनकी एक भी रिपोर्ट में इतने बड़े घोटाले को उजागर नहीं किया गया था। सौ करोड़ रुपए से अधिक की राशि व्यापमं के पर्यवेक्षक बनाए गए अफसरों के मानदेय पर खर्च कर दी गई, लेकिन उसका परिणाम कुछ भी नहीं निकला।
सामाजिक कार्यकर्ताओं और शिक्षाविद को बनाने की मांग
सकलेचा ने पत्र में लिखा कि अव्वल तो मैं इस तरह के पर्यवेक्षक नियुक्त करने का विरोध करता हूं। मेरी मंशा यह है कि इस तरह से उपकृत करने की प्रथा को बंद किया जाना चाहिए। अगर सरकार पर्यवेक्षकों की नियुक्ति करना चाहती है, तो व्हिसल ब्लोअर, सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षाविद और वरिष्ठ पत्रकारों की नियुक्त करे। उससे भ्रष्टाचार और घोटाला रोकने में सरकार को मदद मिलेगी।
सोच विशेष से जुड़े लोगों को हटाएं
सकलेचा ने पत्र में लिखा कि पीएससी में पंद्रह सालों से आरएसएस के लोगों का कब्जा है। जो अधिकारी मौजूद हैं, उनमें से ज्यादातर आरएसएस की सोच वाले अफसर हैं। वे पुरानी सरकार की विचारधारा के हिसाब से काम करते हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार उन्हें हटाकर उन अफसरों की तैनाती करे, तो जिनकी छवि साफ-सुथरी है और उनका जुड़ाव किसी राजनीतिक विचारधारा से नहीं है।
अफसरों पर एक नजर
केसी जैन मध्यप्रदेश कैडर के रिटायर्ड आईएएस अफसर हैं। उनका बेटा डा. अनुराग जैन व्यापमं की प्री-पीजी परीक्षा-2012 में नामजद आरोपी है। आरोप है कि परीक्षा की ओएमआर शीट निकालकर गोले काले किए गए थे। जो उम्मीदवार परीक्षाओं में गलत तरीके से पास हुए थे, उनके अभिभावकों को भी नामजद आरोपी बनाया था, लेकिन जैन को आरोपी नहीं बनाया गया था। तब यह मांग उठाई थी कि जैन को आरोपी क्यों नहीं बनाया गया।
अशोक शिवहरे रिटायर्ड आईएएस अफसर हैं। उनके भाई आरके शिवहरे आईपीएस अफसर हैं। उनकी बेटी और दामाद को भी प्री-पीजी परीक्षा 2012 में नामजद आरोपी बनाया गया था। बेटी डा. नेहा शिवहरे और दामाद डा. आशीष आनंद गुप्ता के साथ शिवहरे को भी नामजद आरोपी बनाया गया था। जब वे डीआईजी थे, तब यह घोटाला उजागर हुआ था और इस मामले में आरके शिवहरे की गिरफ्तारी की गई थी।
अफसरों पर एक नजर
केसी जैन मध्यप्रदेश कैडर के रिटायर्ड आईएएस अफसर हैं। उनका बेटा डा. अनुराग जैन व्यापमं की प्री-पीजी परीक्षा-2012 में नामजद आरोपी है। आरोप है कि परीक्षा की ओएमआर शीट निकालकर गोले काले किए गए थे। जो उम्मीदवार परीक्षाओं में गलत तरीके से पास हुए थे, उनके अभिभावकों को भी नामजद आरोपी बनाया था, लेकिन जैन को आरोपी नहीं बनाया गया था। तब यह मांग उठाई थी कि जैन को आरोपी यों नहीं बनाया गया।
अशोक शिवहरे रिटायर्ड आईएएस अफसर हैं। उनके भाई आरके शिवहरे आईपीएस अफसर हैं। उनकी बेटी और दामाद को भी प्री-पीजी परीक्षा 2012 में नामजद आरोपी बनाया गया था। बेटी डा. नेहा शिवहरे और दामाद डा. आशीष आनंद गुप्ता के साथ शिवहरे को भी नामजद आरोपी बनाया गया था। जब वे डीआईजी थे, तब यह घोटाला उजागर हुआ था और इस मामले में आरके शिवहरे की गिरफ्तारी की गई

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