देश में दान की परंपरा हमेशा जीवंत रहनी चाहिए- मोहन भागवत

इन्दौर, वक्त के तमाम उतार-चढ़ावों के बावजूद भारत में हिंदू समुदाय के प्राचीन जीवन मूल्य कायम रहने का जिक्र करते हुए इन्दौर में एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने उर्दू शायर अल्लामा इकबाल का मशहूर शेर – ‘यूनान, मिस्र, रोमां, सब मिट गए जहाँ से, कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी।’ भी पढ़ा।  संघ प्रमुख मोहनराव भागवत गुरुवार शाम इन्दौर श्रीमती शांतादेवी रामकृष्ण विजयवर्गीय न्यास के उद्घाटन कार्यक्रम को सम्बोध‍ित कर रहे थे। एक करोड़ की लागत से विजयवर्गीय परिवार द्वारा शुरू किए गए इस न्यास का उद्देश्य निर्धन बच्चों की शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में काम करना है। कार्यक्रम को सम्बोध‍ित करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि हिंदू समाज ने प्राचीन समय से लेकर आज तक कई बातें झेली हैं, तो कई उपलब्धियां हासिल भी की हैं। पिछले पांच हजार वर्षों में आए उतार-चढ़ावों के बावजूद हिंदू समाज के प्राचीन जीवन मूल्य भारत में आज भी प्रत्यक्ष तौर पर देखने को मिलते हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया के बाकी देशों के प्राचीन जीवन मूल्य मिट गए। कई देशों का तो नामो-निशान ही मिट चुका है। परंतु हमारे जीवन मूल्य अब तक नहीं बदले हैं। इसलिए इकबाल ने कहा है- “यूनान, मिस्र, रोमां, सब मिट गए जहां से….कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी।” भागवत ने आगे कहा, “और वह बात है – हमारा धर्म। यहां धर्म से तात्पर्य किसी संप्रदाय विशेष से नहीं, बल्कि मनुष्यों के सह अस्तित्व से जुड़े मूल्यों से है। संघ प्रमुख ने कहा कि धर्म समन्वित और संतुलित तरीके से जीवन जीने का तरीका है जिसमें महत्व इस बात का है कि हम दूसरों को क्या दे रहे हैं और उनके भले के लिए क्या कर रहे हैं?” परोपकार की भावना पर जोर देते हुए कहा कि भौतिकता के तमाम बदलावों के बावजूद भारत में दान की परंपरा हमेशा जीवंत रहनी चाहिए। भागवत ने कहा कि, मैं जब नागपुर में प्रचारक था, तब रामकृष्ण विजयवर्गीय मध्यभारत के संघचालक थे और बैठकों में आते हैं। यहां आते ही मैं उन्हें याद दिला रहा था। इतना आशीर्वाद हम लेते हैं। यह बहुत सीनियर हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *