नई दिल्ली, स्वस्थ रहने के लिए पर्याप्त नींद लेना ही काफी नहीं है। समय पर सोना और सही समय पर उठना भी बेहद जरूरी है। ऐसा नहीं करना कई रोगों को दावत देना है। बता दें कि नींद हमारे लिए किसी वरदान की तरह है। लेकिन आधुनिक युग की भागमभाग के बीच तरोताजा कर देने वाली नींद ले पाना कोई साधारण उपलब्धि नहीं है। लेकिन एक अच्छी नींद हमारे दिमाग को पूरी तरह से तरोताजा कर देती है। नींद शरीर के विभिन्न अंगों को आराम देने के लिए बहुत जरूरी है। स्मार्टफोन व कंप्यूटर से निकलने वाली कृत्रिम रोशनी हमारी नींद में बुरी तरह खगांल डालती है। इसके संबंध में शोधकर्ताओं ने बताया है कि आंखों की कोशिकाएं कृत्रिम रोशनी के संपर्क में आती हैं, तो हमारे शरीर की आंतरिक घड़ियां असमंजस में पड़ जाती हैं, जिससे हमारा दैनिक चक्र बिगड़ जाता है और हमारी सेहत पर बुरा असर पड़ता है। बता दें कि आंखों के पीछे रेटिना नाम की एक संवेदी झिल्ली होती है, जिसकी आंतरिक परत में कुछ ऐसी कोशिकाएं होती हैं, जो प्रकाश के प्रति संवेदनशील होती हैं। इसका असर हमारे शरीर की घड़ी पर पड़ता है जिससे पूरा दैनिक चक्र बिगड़ जाता है। इस पर हाल ही में हुए एक शोध में बताया गया है कि जो लोग देर तक सोते हैं, उनके व्यवहार में बदलाव आ जाता है । इसका असर हमारे दिमाग पर पड़ता है। साथ ही जो लोग स्वाभाविक तौर पर देर से उठते हैं, उनके मस्तिष्क में एक खास तत्व सबसे खराब स्थिति में होता है। विशेष रूप से दिमाग के उस हिस्से में, जहां से अवसाद और दुख के भाव पैदा होते हैं। इसी कारण देर से उठने वालों को अवसाद और तनाव अधिक होता है। साइंस जर्नल में प्रकाशित एक लेख में बताया गया है कि जो लोग देर तक सोते हैं, उनके व्यवहार में बदलाव तो आता ही है साथ ही उनके हार्मोन पर भी बुरा असर पड़ता है।