पुणे, आयकर विभाग ने नासिक जिले के 11 प्याज व्यापारियों के ठिकानों पर छापे मारे। स्थानीय बाजारों में प्याज का खुदरा भाव 80 रुपए प्रति किलोग्राम के पार चला गया है। स्वच्छता संबंधी पाबंदियों की वजह से निजी आयात सीमित रहा, जिसकी वजह से भाव बेलगाम होते जा रहे हैं। स्टेट ट्रेडिंग एजेंसी एमएमटीसी ने 1 लाख टन प्याज आयात करने का टेंडर जारी किया है। हालांकि, इसके आने में लंबा समय लग सकता है।
लासलगांव एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी (एपीएमसी) के डायरेक्टर जयदत्ता होल्कर ने बताया कि इनकम टैक्स विभाग के अधिकारियों ने नासिक जिले के करीब 11 व्यापारियों के गोदाम की तलाशी ली है। लासलगांव देश में प्याज के कीमतों की बेंचमार्क मंडी है। इनकम टैक्स अधिकारी पीपलगांव, सतना, कलवन और नासिक जिले के अन्य जगहों जांच कर रहे हैं। इन 11 में से 4 बड़े व्यापारी लासलगांव के हैं। एक व्यापारी ने कहा हमें लगता है कि अधिकारियों ने स्टॉक लिमिट के उल्लंघन को लेकर छापेमारी की है।
केंद्र सरकार ने थोक व्यापारियों पर 500 क्विंटल और खुदरा व्यापारियों के लिए 100 क्विंटल स्टॉक लिमिट तय की है। दिल्ली में प्याज की खुदरा कीमतें 80 रुपए किलो और चेन्नई में 100 रुपए प्रति किलो के पार पहुंच गई हैं। इसलिए सरकार इसके भाव को काबू करने के उपाय कर रही है।
महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना में मॉनसून के बाद बारिश से खरीफ फसल की आवक में देरी हुई है। बेमौसम बारिश ने फसल को नुकसान भी पहुंचाया है। यह उपज सामान्य सीजन में अक्टूबर-नवंबर के दौरान मांग को कंट्रोल करती थी। व्यापारियों का कहना है कि बारिश से खराब फसल काफी कम कीमत में बिक रही है। वहीं, अच्छी क्वॉलिटी का भाव आसमान छू रहा है। इन सबके चलते प्याज के दाम में दिसंबर तक तेजी बरकरार रह सकती है।
हालांकि, कमजोर आवक के बावजूद सोमवार को लासलगांव में प्याज की सबसे ऊंची कीमत 57 रुपए किलो दर्ज की गई। स्टेट ट्रेडिंग कंपनी एमएमटीसी ने 7 नवंबर को 11 लाख टन प्याज आयात करने के लिए टेंडर जारी किया था। एमएमटीसी के टेंडर जारी करने के बाद अंतरराष्ट्रीय कीमतों में भी इजाफा हुआ है। निजी व्यापारियों ने बताया कि वे पहले ही प्याज के 90 से 100 कंटेनर आयात कर चुके हैं और 100 अन्य कंटेनर रास्ते में हैं। प्याज काबुल, किर्गिस्तान और इजिप्ट से आ रही है। ओनियन एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के प्रेसीडेंट अजित शाह ने बताया कि अगले एक महीने तक प्याज के भाव में तेजी बनी रहने की संभावना है। माल के खराब न होने के प्रमाणपत्र की जरूरत आयात की रफ्तार सुस्त कर रही है।