नई दिल्ली, रेटिंग एजेसी मूडीज ने भारत को आर्थिक मामले में एक बड़ा अनुमान व्यक्त किया है। मूडीज ने भारत के दृष्टिकोण को नकारात्मक कर दिया है। मूडीज ने कहा है कि सरकार आर्थिक सुस्ती को दूर करने में सफल नहीं रही है और पहले के मुकाबले ग्रोथ की रफ्तार कम रहेगी। कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती और जीडीपी ग्रोथ की धीमी रफ्तार को देखते हुए मूडीज का अनुमान है कि मार्च 2020 में खत्म होने वाले वित्त वर्ष के दौरान बजट घाटा जीडीपी का 3.7 फीसदी रह सकता है, जिसका टारगेट 3.3 फीसदी रखा गया था। अक्टूबर 2019 में मूडीज ने 2019-20 में जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को घटाकर 5.8 फीसदी कर दिया था, जिससे पहले मूडीज ने इसके 6.2 फीसदी का अनुमान जारी किया था। एजेंसी ने कहा कि मूडीज ने भारतीय इकॉनमी की ग्रोथ से जुड़े जोखिमों को देखते हुए रेटिंग घटाई है। स्पष्ट है कि पहले के मुकाबले इकॉनमी धीमी गति से आगे बढ़ेगी, जिसका मुख्य कारण सरकार की नीतियों का कम कारगर होना है। मूडीज का अनुमान है कि कर्ज का भार धीरे-धीरे बढ़कर ज्यादा हो सकता है।
मूडीज के मुताबिक सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का इकॉनमी पर सकारात्मक असर पड़ना चाहिए और सुस्ती की अवधि और प्रभाव कम हो जाना चाहिए। ग्रामीण परिवारों को लंबे आर्थिक संकट, रोजगार के नए मौके कम और एनबीएफसी वित्त संकट के कारण सुस्ती के लंबे समय तक रहने की संभावना बन रही है। कारोबार में निवेश और ग्रोथ बढ़ाने के लिए और सुधारों और टैक्स बेस व्यापक करने की गुंजाइश काफी कम हो गई है। अप्रैल से जून तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था 5.0 फीसदी की दर से आगे बढ़ी। यह दर 2013 के बाद से सबसे कम थी। इसका कारण कमजोर मांग और सरकारी खर्च की कमी रही। इसे देखते हुए रिजर्व बैंक ने कई बार ब्याज दरों में कटौती की और सरकार ने कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती जैसे बड़े कदम उठाए। वैश्विक एजेंसी मूडीज ने कहा कि भारत सरकार के हाल के कदम ग्रोथ स्लोडाउन की अवधि और प्रभाव को कम करने में मददगार साबित हो सकते हैं। एजेंसी ने आगे कहा कि एनबीएफसी संकट से जल्द उबर पाने की उम्मीद नहीं है।