मुंबई, महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना के बीच सत्ता संघर्ष तेज हो गया है। भाजपा देवेंद्र फडणवीस को हर हाल में मुख्यमंत्री बनाना चाहती है। वहीं शिवसेना अपना मुख्यमंत्री हर हाल में बनाने के लिए अड़ गई है। दोनों पार्टियों ने मिलकर चुनाव लड़ा था। चुनाव परिणाम के बाद भाजपा नेताओं के धमकी भरे बयान से शिवसेना प्रमुख नाराज हो गए हैं। शिवसेना अब आर पार की लड़ाई लड़ने की तैयारी में जुट गई हैं।
भाजपा सूत्रों से जो संकेत मिल रहे हैं, उसके अनुसार राज्यपाल सबसे बड़े दल के रूप में भाजपा विधायक दल के नेता, देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला देंगे। सदन के अंदर बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय उन्हें देंगे। इसी 15 दिन का समय लेकर भारतीय जनता पार्टी शिवसेना और अन्य दलों के विधायकों को भाजपा के पक्ष में लाने के लिए तोड़फोड़ करके बहुमत जुटाने के प्रति आश्वस्त है। यदि ऐसा नहीं हो पाया, तो सरकार गिरने पर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की रणनीति भाजपा ने तैयार की हैं।
भाजपा का खेल
चुनाव परिणाम आने के पश्चात भाजपा ने, पहले शिवसेना के साथ माइंड गेम खेला। जब बात नहीं बनी, तो सांसद संजय काकडे के द्वारा 45 शिवसेना के विधायकों का समर्थन भाजपा के पक्ष में होने का बयान दिलाकर शिवसेना तोड़ने की धमकी दी गई। इसके बाद से शिवसेना प्रमुख काफी नाराज हो गए। वह इस बात पर अड़ गए हैं, कि मुख्यमंत्री बनेगा तो शिवसेना का ही बनेगा। इसके बाद भाजपा की ओर से राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने का भय दिखाकर शिवसेना को डिप्टी सीएम और कुछ महत्वपूर्ण विभाग देकर मनाने की कोशिश की गई लेकिन शिवसेना इसके लिए तैयार नहीं हुई। अब आर-पार की लड़ाई भाजपा ने लड़ने का मन बना लिया है। जल्द ही देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाकर सदन में बहुमत साबित करने का जुगाड़ भाजपा करेगी।
शिवसेना का जवाब
शिवसेना ने भाजपा की इस रणनीति को अच्छी तरह से समझ लिया है। उसके बाद से शिवसेना ने अपने विधायकों को संगठित रखने के इंतजाम पुख्ता किए है। इसके साथ ही देवेंद्र फडणवीस से जो भाजपा के विधायक और नेता नाराज हैं। अप्रत्यक्ष रूप से शिवसेना प्रमुख ने उनसे भी संपर्क स्थापित करके अपने अनुकूल राजनीतिक स्थिति बनाने का प्रयास किया है। उसके बाद ही शिवसेना प्रमुख ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेई की सरकार, एक वोट से सदन के अंदर गिर गई थी। इसका आशय यह था, कि यदि सरकार अल्पमत में भाजपा ने बना भी ली, तो बहुमत परीक्षण के दौरान शिवसेना सरकार को गिरा देगी। शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाये हैं। सरकार में बैठकर जेलों से गुंडों का रिहा कराकर दबाब बनाने, गुंडागर्दी के बल पर सरकार बनाने की कोशिशें का जल्द खुलासा करेंगे। राउत ने कहा शिवसेना के पास 170 विधायकों का समर्थन है। शिवाजी पार्क में जल्द ही शिवसेना का मुख्यमंत्री शपथ लेगा।
आसान नहीं होगा राष्ट्रपति शासन लागू करना
महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू करना आसान नहीं होगा। शिवसेना ने भी सरकार बनाने के लिए अपनी दावेदारी राजभवन में जता दी है। ऐसी स्थिति में देवेंद्र फडणवीस यदि सदन के अंदर अपना बहुमत साबित नहीं कर पाएंगे, उस स्थिति में राज्यपाल को शिवसेना सहित अन्य विकल्प के दावे को स्वीकार करने के अलावा और कोई चारा नहीं रहेगा। शिवसेना के पक्ष में इन दिनों राकांपा और कांग्रेस पर्दे के पीछे से शिवसेना का मुख्यमंत्री बनाने और शिवसेना की सरकार बनाने में पूरी मदद कर रहे हैं।
शिवसेना को 154 विधायकों का समर्थन
पर्दे के पीछे चल रही राजनीति मैं पिछले 1 सप्ताह के दौरान शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की बात शरद पवार से हो चुकी हैं। शरद पवार के माध्यम से कांग्रेस अध्यक्ष ने भी शिवसेना की सरकार बनने पर अपना समर्थन देने की सहमति जता दी है। कांग्रेस सरकार में शामिल नहीं होगी, लेकिन बाहर से समर्थन देकर शिवसेना की सरकार बनवाने में कांग्रेस सहमत है। जिसके कारण भाजपा की मुश्किलें सरकार बनने के बाद भी कम नहीं होंगी।
शरद पवार भाजपा से नाराज
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के पूर्व जिस तरीके से भारतीय जनता पार्टी ने, राकांपा और कांग्रेस के विधायकों को तोड़कर भाजपा में मिलाया था। शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल को ईडी से नोटिस दिलवाए। उससे शरद पवार काफी नाराज बताए जा रहे हैं। उल्लेखनीय है, कि पिछली सरकार अल्पमत में होते हुए भी शरद पवार के समर्थन से भाजपा की सरकार बनी। जो पूरे 5 साल चली। लेकिन जैसे ही चुनाव आए, भाजपा ने शरद पवार और राकांपा को ही ठिकाने लगाने की कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। जिसके कारण अब शरद पवार, शिवसेना की सरकार बनाने मैं हर संभव मदद कर रहे हैं। जिस तरीके की स्थिति महाराष्ट्र में देखने को मिल रही है। उसमें यह कहा जा सकता है, सरकार बनाने में शिवसेना का पलडा भारी है। शिवसेना की शर्त है, भाजपा शिवसेना का मुख्यमंत्री बनाए। भाजपा यदि शिवसेना के समर्थन बिना सरकार बना लेती है। ऐसी स्थिति में शिवसेना के ऊपर गठबंधन तोड़ने का दाग भी नहीं लगेगा। राकांपा और कांग्रेस की मदद से महाराष्ट्र में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने शिवसेना आगे बढ़ चुकी है। भाजपा ने पिछले 6 साल में समय-समय पर शिवसेना को दबाने और कमजोर करने का कोई मौका नहीं छोड़ा। शिवसेना का मुख्यमंत्री यदि अभी नहीं बन पाया, तो आगे कभी बन भी नहीं पाएगा। ऐसी स्थिति में शिवसेना साम दाम दंड भेद अपना मुख्यमंत्री बनाने तैयार है। इसमें शिवसेना को कोई नुकसान नहीं है। भाजपा को जरुर बड़ा नुकसान होगा।