लखनऊ, उत्तर प्रदेश में 68,500 सहायक अध्यापक भर्ती में गड़बड़ी का मामला काफी समय से चल रहा है। बताया जा रहा है कि इस भर्ती के लिए हुए एग्जाम का रिजल्ट अगस्त 2018 में जारी हुआ था। जिसमें सिर्फ 41556 अभ्यर्थियों पास हुए थे। लेकिन रिजल्ट के बाद 30,852 अभ्यर्थियों ने पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन किया था और पुनर्मूल्यांकन के दौरान इसमें काफी गड़बड़ी पाई गई थी। बताया गया कि अभ्यर्थियों की आपत्ति के बाद पुनर्मूल्यांकन में 46244 अभ्यर्थी उत्तीर्ण निकले थे। हालांकि अब इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर पुस्तिकाओं के पुनर्मूल्यांकन का निर्देश दिया है। साथ ही परिणाम संशोधित होने के बाद कट ऑफ मेरिट में आने वालों को चार सप्ताह में नियुक्ति पत्र जारी कराने को भी कहा है। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि सचिव परीक्षा नियामक उत्तर पुस्तिकाओं का पुनर्मूल्यांकन अनिरूद्ध नारायण शुक्ल और राधा देवी केस की गाइडलाइन के आलोक में करें और संशोधित परिणाम राज्य सरकार को भेजा जाए। वहीं, सरकार बचे हुए 22211 पदों के सापेक्ष कट आफ मेरिट से पता चला कि सफल अभ्यर्थियों को चार सप्ताह में नियुक्ति पत्र जारी किये जाएं। यूपी सहायक शिक्षक भर्ती के लिए लिखित परीक्षा 6 जनवरी, 2019 को पूरे यूपी राज्य में आयोजित की गई थी। साथ ही उत्तर कुंजी तीन दिन बाद यानी 9 जनवरी, 2019 को जारी की गई थी। परिषदीय विद्यालयों में 68500 सहायक अध्यापक भर्ती में धांधली सामने आने से हड़कंप मच गया था। हालांकि इस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की थी।